यामीन विकट
ठाकुरद्वारा : नगर के प्रसिद्ध हास्य व्यंग्य कवि शरीफ भारती ने 36 वर्ष बाद अपनी माँ के सपने को पूरा करते हुए विधि की परीक्षा पास कर ली है।
हास्य व्यंग्य कवि शरीफ भारती ने 1987 में के.जी.के.कॉलेज मुरादाबाद से विधि प्रथम वर्ष की परीक्षा दी थी जिसमें वह एक विषय में फेल हो गए थे। उस समय उनके साथ भारतीय जनता पार्टी के एम. एल. सी. जयपाल सिंह व्यस्त भी विधि के छात्र थे। इसके बाद शरीफ भारती अपने कवि सम्मेलन कार्यक्रमों में इतने व्यस्त हो गए कि विधि की पढ़ाई पूरी न कर सके फिर अचानक करोना काल में जब कवि सम्मेलन बन्द हो गए तो उन्हें अपनी मां के सपने की याद आयी कि मेरी मां मुझे वकील बनाना चाहती थीं फिर उन्होंने नए सिरे से विधि की तैयारी नगर के कृष्णा कॉलेज शुरू की और एक के बाद एक कर सभी सेमेस्टर सफलता पूर्वक पास किये।इस तरह 36 वर्षों बाद उनका व उनकी माँ का सपना साकार हुआ। ये सच है कि कोई व्यक्ति अगर मन में कुछ ठान ले तो उसे पूरा करने को पूरी कायनात लग जाती है और वैसे भी किसी ने कहा है कि पढ़ाई की कोई उम्र नही होती बस होंसला होना चाहिए। उनके इस प्रयास के लिये अनेक राजनीतिज्ञों और अधिकारियों ने उनको बधाई दी है।