यामीन विकट
ठाकुरद्वारा : मिट्टी और बालू के अवैध खनन का कारोबार धड़ल्ले किया जा रहा है। खनन माफियाओ द्वारा परमिशन की आड़ में चल रहे इस खेल में कुछ अधिकारियों की मिलीभगत के कारण इनपर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।
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नगर व देहात क्षेत्र में पिछले लंबे समय से अवैध खनन का कारोबार धड़ल्ले से जारी है। खनन माफिया खनन की परमिशन की आड़ में सौ घन मीटर की जगह एक हजार घन मीटर मिट्टी उठाते हैं। इसके अलावा ये खनन माफिया परमिशन के लिए तय शुदा स्थान पर अगर दस डंपर मिट्टी डालते हैं तो उसी परमिशन की आड़ में दस अलग अलग स्थानों पर भी मिट्टी डालने का काम करते हैं। गाहे बगाहे अगर कभी कोई चेकिंग होती भी है तो उसी परमिशन को दिखा दिया जाता है। इस बात की भी चर्चाएं हैं कि इसके लिए वह कुछ अधिकारियों को खुश करते हैं ताकि किसी तरह की कोई रोका टोकी न हो। खनन माफियाओं का ये खेल लंबे समय से जारी है और वर्तमान में भी बेरोकटोक चल रहा है।
अब ये सब किसके इशारे पर किया जा रहा है ये सब किसी से छिपा हुआ नही है। लोगो मे इस अवैध खनन को लेकर जो चर्चाएं हैं वो अपने आप मे काफी चोंकाने वाली हैं। सूत्रों के अनुसार अवैध खनन के इस खेल में खनन माफिया मोटी रकम देकर निश्चिंत होकर अपना काम करते हैं। खनन के इस कारोबार में प्रशासन की चुप्पी और खनन के कारोबार को अनदेखा करना इन चर्चाओं को बल प्रदान करता है। खनन अधिकारी ने राहुल सिंह ने बताया कि परमिशन की आड़ में यदि अवैध खनन की सूचना मिलती है तो कार्रवाई की जाएगी।
ईंट भट्टों पर मिटटी और पलोथन के लिए बालू की परमीशन दी जाती है, यदि वह बिना किसान की मरीजे खनन करता है उनके खिलाफ कार्रवाई निश्चित होगी। नदियों से किसी भी भट्टा मालिक का बालू का खनन करने की परमीशन नही दी जाती है। यदि कोई भी भट्टा मालिक नदी से खनन करता पाया गया तो उसके खिलाफ खनन अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। नदी किनारे स्थित किसानों के खेत लेकर भट्टा मालिक किसान की मर्जी से बालू उठा सकते है, यदि शिकायती मिली तो कार्रवाई की जाएगी। समय समय पर चैकिंग अभियान चलाकर चैकिंग की जाती है।

खनन के मामले में खनन अधिकारी द्वारा बताई गई ये सब बातें किताबी हैं और खनन माफिया इन सब कायदे कानून से ऊपर उठकर सुविधाशुल्क देकर धड़ल्ले से काम करने में विश्वास करते हैं।इसीलिए जब तक उनकी सेटिंग नही हो जाती है वो अपना काम शुरू नही करते हैं। बात करें स्थानीय प्रशासन की तो वो इस मामले को खनन विभाग का मामला बता कर अक्सर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं

और खनन माफियाओ का ये कारोबार लगातार जारी रहता है। उच्चाधिकारियों को चाहिये कि मामले की गुप्त रूप से जाच कर पता लगाएं कि आखिर खनन माफिया किसकी मदद से अपने इस कारोबार को जारी रखे हुए हैं।