माफियाओं ने हरे भरे आम के 55 पेड़ों पर चला दी आरियां, देखता रह गया विभाग

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माफियाओं ने हरे भरे आम के 55 पेड़ों पर चला दी आरियां, देखता रह गया विभाग

 

पछवादून क्षेत्र में भूमाफिया और लकड़ी माफिया संबंधित विभागों पर भारी पड़ते हुए नजर आ रहे हैं। आलम यह है कि विभागों की कार्रवाई के बावजूद भी इस गोरखधंधे में लगे माफिया बेरोकटोक न केवल अवैध प्लाटिंग कर रहे हैं बल्कि रातों रात हरे भरे पेड़ों पर आरियां चलाकर बागानों का सफाया कर रहे हैं।

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ताज़ा मामला सहसपुर क्षेत्र के भानवाला गांव में सामने आया है, जहां भूमाफियाओं ने लकड़ी माफियाओं के साथ सांठगांठ कर रातों रात 55 हरे भरे आम के पेड़ों पर आरियां चलावाकर पेड़ों की लकड़ियों को भी ठिकाने लगा दिया, और संबंधित विभागों को कानों-कान खबर तक न हुई। ताज्जुब की बात तो यह की उक्त जगह ही उघान विभाग सूचना के आधार पर कार्रवाई करते हुए करीब एक सप्ताह पूर्व 12 आम के पेड़ों के अवैध पातन की पुष्टि कर चुका है, साथ ही मौके पर करीब 45 खड़े होने की बात कह चुका है। जिस पर अभी उघान विभाग भू स्वामी का पता लगाकर उस पर मुकदमा दर्ज करवायें जाने की तैयारी कर ही रहा था, कि इस बीच माफियाओं द्वारा मौका पाकर बागान में बाकी खड़े हरे भरे आम के फलदार पेड़ों पर आरियां चलाकर उन्हें ठिकाने लगा दिया।

 

 

 

 

जिसकी खबर उघान विभाग और वन विभाग को लगने पर आज दोनों ही विभागों की टीम मौके पर पहुंची और उन्होंने वहां का निरीक्षण किया। जिसको लेकर उघान विभाग सहसपुर प्रभारी तहसीन खान का कहना है कि मौके पर आम के 55 फलदार पेड़ों के अवैध कटान की पुष्टि हुई है, बताया कि पूर्व में भी उक्त जगह 12 आम के पेड़ों का अवैध कटान हुआ था। जिसके चलते अब संबंधित भूस्वामी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया जा रहा है, साथ ही पेड़ों के अवैध कटान को लेकर अन्य जानकारी जुटाई जा रही है। इतना ही नहीं अगर सूत्रों की मानें तो उक्त जगह आम के पेड़ों के साथ अन्य प्रजाति के कुछ पेड़ों के कटान की भी बात सामने आई है जिस पर जांच की जा रही है।

 

 

 

बहरहाल सहसपुर क्षेत्र में एक के बाद एक सामने आ रहे मामले उघान विभाग की कार्यप्रणाली पर तो सवालिया निशान खड़े ही कर रहे हैं, साथ ही वन विभाग भी इन मामलों में संदेह के दायरे में है। क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर अवैध कटान के बाद आखिरकार इन पेड़ों की लकड़ियों से भरे वाहन कैसे एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाकर ठिकाने लगाए जा रहे हैं। आखिर सवाल यह भी कि इन पेड़ों की लकड़ियों को जिन टाल और आरा मशीनों पर पहुंचाया जा रहा है, उन पर संबंधित विभाग कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे।

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