कांग्रेसियों ने वाद की सुनवाई के दौरान धर्मान्तरण पर की गयी संविधान विरोधी मौखिक टिप्पणी के खिलाफ ज्ञापन सौंपा

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कांग्रेसियों ने वाद की सुनवाई के दौरान धर्मान्तरण पर की गयी संविधान विरोधी मौखिक टिप्पणी के खिलाफ ज्ञापन सौंपा

फै़याज़ साग़री

 

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शाहजहांपुर अल्पसंख्याक कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम व उपा अध्यक्ष अनवर अनीस के निर्देश अनुसर जिला अध्यक्ष सईद अंसारी के नेतृत्व में एक ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट शाहजहाँपुर के माध्यम से भारत के मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय नई दिल्ली को दिया गया जिसका विषय इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज रोहित रंजन अग्रवाल द्वारा एक वाद की सुनवाई के दौरान धर्मान्तरण पर की गयी संविधान विरोधी मौखिक टिप्पणी जिसमें रोहित रंजन के द्वारा मौखिक कहा गया था कि ‘भोले भाले गरीबों को गुमराह कर ईसाई बनाया जा रहा है और धर्मांतरण जारी रहा तो एक दिन भारत की बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक हो जाएगी’.

 

 

 

 

यह भाषा न्यायिक अधिकारी की भाषा की गरिमा के विपरीत और संवैधानिक नज़रिए से आपत्तिजनक है क्योंकि भारतीय न्यायिक अधिकारी किसी बहुसंख्यकवादी राज्य के जज नहीं हैं बल्कि एक धर्मनिरपेक्ष राज्य व्यवस्था के जज हैं जिसका कोई अधिकृत धर्म नहीं है. इसलिए धर्मांतरण से जुड़े वाद की सुनवाई में न्यायाधीश की ज़िम्मेदारी यह देखने तक ही है कि कोई जबरन या किसी की इच्छा के विरुद्ध तो धर्म परिवर्तन नहीं करा रहा है. यदि ऐसा पाया जाता है तो उसके लिए उचित दंड का प्रावधान है।इसलिए जज की चिंता का विषय यह नहीं हो सकता कि धर्मांतरण से बहुसंख्यक अल्पसंख्यक हो जाएंगे या अल्पसंख्यक बहुसंख्यक हो जाएंगे.

 

 

 

 

हाई कोर्ट के न्यायाधीश स्तर से आने वाली ऐसी टिप्पणियों से उन सांप्रदायिक तत्वों को बढ़ावा मिलता है जो अल्पसंख्यकों पर धर्मांतरण का फ़र्ज़ी आरोप लगाकर उनका उत्पीड़न करते हैं. यह एक तरह से देश विरोधी बहुसंख्यकवादी विचार से ग्रस्त अपराधियों को ‘इम्प्युनिटी’ या दंड से छूट की गारंटी देने जैसा है. जिससे 1999 में ओड़िसा में हिंदुत्ववादी संगठनों से जुड़े अपराधियों द्वारा ग्राहम स्टेंस और उनके दो बच्चों को ज़िंदा जला देने जैसी घटनाओं को बढ़ावा मिलेगा.

 

 

 

 

 

हम आपसे यह भी कहना चाहेंगे कि पिछले कुछ सालों से उत्तर प्रदेश की न्यायपालिका की निष्पक्ष छवि ऐसी टिप्पणियों से न सिर्फ़ खराब हुई है बल्कि सरकार के प्रभाव में कार्य करने वाली संस्था की बनती जा रही है. जिसके उदाहरण के बतौर बरेली सेशन के जज रवि कुमार दिवाकर द्वारा 9 मार्च 2024 को दिये फैसले को देखा जा सकता हैं जिसमे उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ करते हुए उन्हें ‘दार्शनिक राजा’ की संज्ञा दी थी.

 

 

 

न्यायपालिका की निष्पक्ष छवि और उसमें नागरिकों के भरोसे को बनाए रखने के लिए यह ज़रूरी है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज रोहित रंजन अग्रवाल के खिलाफ़ आप उचित कार्यवाई करें।

 

 

 

इस मौके पर प्रमुख रूप से मौजूद रहे डॉ फ़रीद ख़ान , डॉ जानेआलम , अवज़ल ख़ा , रसीस ख़ा , शैज़ाद कुरैशी , इमरान ख़ा , मशूक अली , फ़िदा हुसैन , मकदूम अली , दानिश शेख , फ़करे आलम , सैयद रहमान , अदनान ख़ा , सद्दाम ख़ा , एजाज ख़ा , ताबिश नूर , आसिफ ख़ा , समीर ख़ा ,– तमाम कायृकरता मौजूद रहे!

 

 

 

 

 

 

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