कोतवाली मे दलालो का बोलबाला, शरीफों को धुत्तकार रही पुलिस,
कई मुकदमों मे नामजद माफिया के पुत्र के साथ पुलिसकर्मियों की तस्वीरें वायरल,
यामीन विकट
ठाकुरद्वारा : “जब सईया भय थानेदार तब डर काहे का ” जी हां यह कहावत वर्तमान समय मे कोतवाली पुलिस पर सटीक बैठती साबित हो रही है।सूत्रों की मानें तो दिन भर कोतवाली मे दलालो का जमावड़ा लगा रहता है जो कई बार कोतवाली के पिछले दरवाज़े से तो कई बार सीना चौड़ा किए मुख्य द्वार से दाखिल होते हैं और कोतवाली मे स्थित पुलिसकर्मियों के कमरों में बैठकर सांठ -गांठ करके निकल जाते हैं।और फिर बाहर निकल कर लोगो पर अपना रौब झाड़ते हैं कि हम फलाने साहब के खास हैं जिसे चाहें झूठे मुकदमे मे जेल की हवा खिलवा दें। ऐसे मे बड़ा सवाल यह उठता है कि यदि इन लोगो से पुलिस का कोई वास्ता या फायदा नहीं है तो ये बिना किसी काम के कोतवाली मे घंटो क्यों जमे रहते हैं।
कई मुकदमों मे नामजद माफिया के पुत्र के साथ पुलिसकर्मियों के फोटो हो रहे हैं वायरल,
हाल ही मे पुलिसकर्मियों के साथ एक स्थानीय युवक के फोटो वायरल हो रहे हैं,जिसका पिता एक माफिया है।तस्वीरों मे दिख रहे युवक के पिता पर पूर्व मे पुलिस द्वारा कई मुकदमे दर्ज हैं। ऐसे मे युवक के साथ पुलिस कर्मियों की वायरल हो रही तस्वीरें पुलिस की ख़ूब फजीहत करा रही हैं। ऐसे मे यह सवाल भी उठना लाज़मी है कि आख़िर एक माफिया के पुत्र और पुलिस के रिश्तों का क्या मतलब,फिलहाल कुछ भी हो इस बात का जवाब तो पुलिस के आलाधिकारी ही बता सकते हैं कि “ये रिश्ता क्या कहलाता है”
दलालों से लग रहा सामाजिक लोगो को डर,
युवक की वायरल हो रही तस्वीरें क्षेत्र भर मे ख़ूब सुर्खिया बटोर रही हैं वहीं इस संबंध मे जब कई सामाजिक लोगो से वार्ता की गई तो लोगो ने दबी जुबान मे बताया की नशाखोरी, सट्टा आदि के संबंध मे कई बार स्थानीय अधिकारियों की अवगत कराने का प्रयास करते हैं लेकिन बगल मे बैठे दलालों के कारण इस डर के चलते की कहीं नाम उजागर न हो जाए निराश लौट जाते हैं। उधर कोतवाली पुलिस अमन कमेटी की बैठक में लोगों से सहयोग करने की बात करने का दावा कर ये साबित करती है कि वह वाकई अपराध को खत्म करना चाहती है जबकि सच्चाई यह है कि कोतवाली को दलालों के इशारों पर चलाया जा रहा है।