नगर में धूमधाम से शालिग्राम और तुलसी जी का विवाह श्रद्धालु महिलाओं नेकराया
यामीन विकट
ठाकुरद्वारा : नगर के बाजार गंज में दुर्गा मंदिर पर देवउठन एकादशी पर तुलसी और शालिग्राम का विवाह कराया गया। बता दे की पौराणिक कथाओं के अनुसार जालंधर नाम का
एक असुर था। उसका विवाह वृंदा नाम की कन्या से हुआ था ।बृंदा विष्णु जी की परम भक्त थी ,वृंदा के पति व्रत धर्म के कारण जालंधर को कोई मार नहीं सकता था ।
जालंधर को अपने अजेय होने पर अभिमान आने लगा और स्वर्ग की कन्याओं को परेशान करने लगा था। उसके आतंक से परेशान होकर देवी देवता भगवान विष्णु के शरण में गए और जालंधर के प्रकोप से बचने के लिए प्रार्थना करने लगे । जालंधर की पत्नी वृंदा पतिव्रता स्त्री थी और उसी के पति व्रत धर्म से जालंधर अजेय था। उसे कोई हार नहीं सकता था। इसलिए जालंधर को नष्ट करने के लिए वृंदा के पति व्रत धर्म को भंग करना जरूरी था। इसी कारण विष्णु जी ने अपनी माया से जालंधर का रूप धारण किया और छल से वृंदा के पतिव्रत धर्म को नष्ट कर दिया ।इससे जालंधर की शक्तियां खत्म हो गई और वह युद्ध में पराजित हो गया। जब वृंदा को इस छल का आभास हुआ, तो उन्होंने नाराज होकर विष्णु जी को शिला होने का श्राप दे दिया और स्वयं सती हो गई। जहां वृंदा भस्म हुई। वहां तुलसी का पौधा उत्पन्न हुआ। देवताओं के प्रार्थना से वृंदा ने अपना श्राप वापस लिया, लेकिन विष्णु जी ने वृंदा के साथ हुए छल के पश्चाताप के कारण वृंदा के श्राप को जीवित रखने के लिए उन्होंने एक रूप पत्थर रूप में प्रकट किया और जो शालिग्राम कहलाया । वृंदा की मर्यादा और पवित्रता को बनाए रखने के लिए देवताओं ने माता तुलसी का भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप से विवाह करवाया ।इसलिए हर साल कार्तिक मास शुक्ल की एकादशी तिथि को तुलसी जी का शालिग्राम से विवाह कर जाता है। विवाह को विधि विधान से कराया गया। इस दौरान आरती सविता मनीषा महिमा तनु लक्ष्मी खुशी रेनू मोनिका पल्लवी शिप्रा संगम आदि मौजूद रही।