जसपुर में ‘हाथी’ की धमक वसीम सिद्दीकी ने रच डाली जीत की कहानी?
अज़हर मलिक
जसपुर के नगर पालिका चुनाव में इस बार सियासी हवाएं कुछ अलग ही रुख लिए हुए हैं। बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी वसीम सिद्दीकी ने अपनी रणनीति, मेहनत और जनता के साथ गहरी पकड़ से विरोधियों की नींद उड़ा दी है। चर्चा यह है कि जसपुर का राजनीतिक खेल इस बार पूरी तरह बदल चुका है और ‘हाथी’ की गर्जना सुनाई दे रही है। वसीम सिद्दीकी ने अपनी छवि और कार्यशैली से साबित कर दिया है कि वे सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि जसपुर की जनता के दिलों की धड़कन हैं।
सिद्दीकी का कार्यालय अब सिर्फ एक ऑफिस नहीं रहा, यह हर दिन एक मिनी जनता दरबार में बदल जाता है। सुबह से शाम तक लोगों की भीड़ उनकी कुर्सी के चारों ओर जमा रहती है। दिलचस्प बात यह है कि उनके दरबार में केवल उनके समर्थक ही नहीं, बल्कि विरोधी खेमे के लोग भी अपनी समस्याएं लेकर पहुंच रहे हैं। क्या यह चुनावी समीकरणों की तरफ इशारा नहीं करता?
इस बार चुनाव चिन्ह ‘हाथी’ के साथ वसीम सिद्दीकी मैदान में उतरे हैं, और जसपुर के गलियारों में एक चर्चा गर्म है—“अगर चेयरमैन बनना है, तो हाथी पर सवारी करनी होगी।” यह सिर्फ एक जुमला नहीं, बल्कि पिछले कई वर्षों का राजनीतिक सच है। बसपा ने जसपुर में कई बार अपना दबदबा कायम किया है, और सिद्दीकी इस विरासत को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की तैयारी में हैं।
आंकड़े बताते हैं कि विपक्ष बिखरा हुआ है, उनके पास न तो कोई मजबूत प्रत्याशी है और न ही कोई ठोस रणनीति। वहीं दूसरी तरफ, वसीम सिद्दीकी ने जनता के मुद्दों को चुनावी केंद्र में रखा है। चाहे वह सफाई व्यवस्था हो, सड़क निर्माण, या पानी की समस्या—हर मुद्दे पर उनकी पकड़ और समाधान का भरोसा जनता को उनके साथ खड़ा कर रहा है।
हालांकि सियासी खेल में सस्पेंस बना हुआ है। विरोधी खेमे में गुपचुप मीटिंग्स हो रही हैं, लेकिन सिद्दीकी के समर्थकों का कहना है कि “चाहे कितनी भी साजिश रच लें, इस बार जसपुर का चेयरमैन सिर्फ वसीम सिद्दीकी ही बनेगा।”
क्या वाकई ‘हाथी’ जसपुर में फिर से अपना झंडा गाड़ने वाला है? क्या वसीम सिद्दीकी इस बार इतिहास रच देंगे? जसपुर की जनता की निगाहें इसी सवाल पर टिकी हैं, और सियासत के जानकारों का मानना है कि सिद्दीकी की बढ़त ने मुकाबले को लगभग एकतरफा बना दिया है। जनता का यह समर्थन जसपुर के भविष्य की तस्वीर बदलने वाला साबित हो सकता है।