मार्चुला हादसे के बाद भी बेखौफ परिवहन विभाग, सड़कों पर मौत का तांडव जारी
सलीम अहमद साहिल
उत्तराखंड के रामनगर में परिवहन विभाग की लापरवाही ने एक बार फिर से सवाल खड़ा कर दिया है। सड़कों पर दौड़ती बसों में यात्री सुरक्षा के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। मार्चुला हादसे जैसी भयानक घटना के बाद कुछ समय के लिए विभाग सक्रिय दिखाई दिया, लेकिन अब स्थिति वही पहले जैसी हो चुकी है। नियमों के पालन का दिखावा तो हुआ, मगर विभाग ने फिर से अपनी आंखें मूंद ली हैं।
रामनगर की सड़कों पर दौड़ रही बसों में क्षमता से अधिक सवारियां ठुंसी जा रही हैं। न केवल बसों के अंदर, बल्कि यात्री खिड़कियों पर लटककर सफर कर रहे हैं। यातायात नियमों का उल्लंघन इतना बढ़ चुका है कि लगता है जैसे कोई इस पर नजर रखने वाला नहीं है। परिवहन विभाग के एआरटीओ साहब शायद यह सब देख ही नहीं पा रहे, या फिर जानबूझकर इसे नजर अंदाज कर रहे हैं।
मार्चुला हादसा न जाने कितनी जिंदगियां निगल चुका था, जिसके बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सख्त एक्शन लिया था और कई अधिकारियों पर कार्रवाई की थी। लेकिन उस एक्शन का असर कुछ ही दिनों तक देखने को मिला। अब एक बार फिर से वही पुरानी स्थिति लौट आई है, जिसमें बस संचालकों को अपनी मनमर्जी से बसें चलाने की खुली छूट मिल गई है।
बस संचालकों की लापरवाही और विभाग की चुप्पी के कारण हर दिन सड़क पर मौत का खतरा मंडरा रहा है। क्या परिवहन विभाग अब भी इस खतरे को नजरअंदाज करेगा, या फिर एक और हादसे के बाद जागेगा?
यह खामोशी और लापरवाही जब तक जारी रहेगी, तब तक सड़क पर मौत का यह खेल कभी खत्म नहीं होगा। अब समय आ गया है कि जनता की आवाज बनकर इन बेशर्म अधिकारियों को उनकी जिम्मेदारी याद दिलाई जाए। क्या परिवहन विभाग अब भी जागेगा, या फिर एक और हादसे का इंतजार करेगा?