रामनगर में एआरटीओ की नाकामी, सड़कों पर दौड़ रही मौत की सवारियां
साहिल अहमद सलीम
सोचिए, अगर आपके बच्चे जिस स्कूल वाहन में सफर कर रहे हैं, वह ओवरलोड हो, टायर घिसे हुए हों, और इमरजेंसी सुविधाएं नदारद हों—क्या यह किसी बड़ी त्रासदी को न्यौता नहीं है? रामनगर की सड़कों पर यही हो रहा है, और इसके जिम्मेदार हैं यहां के एआरटीओ, जिनकी लापरवाही ने यातायात व्यवस्था को पूरी तरह पटरी से उतार दिया है।
सड़कों पर बेतरतीब दौड़ रहे ओवरलोड वाहन, स्कूल बसों में ठूंसे गए मासूम बच्चे, और खराब फिटनेस वाले निजी वाहन यह साबित करते हैं कि यातायात नियमों का यहां कोई मोल नहीं है। तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि कुछ बसें तो ऐसी हैं, जिनके टायर पूरी तरह घिस चुके हैं, लेकिन फिर भी सवारियां भरकर दौड़ाई जा रही हैं।
मीडिया द्वारा बार-बार इन मुद्दों को उठाने के बावजूद एआरटीओ की ओर से केवल दिखावटी कार्रवाई की गई। कठोर कदम न उठाने के चलते वाहन स्वामी बेखौफ होकर नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। आरटीओ कार्यालय की यह उदासीनता न केवल यात्रियों की सुरक्षा को खतरे में डाल रही है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करती है कि क्या यहां जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ कुंभकरणीय नींद में हैं?
जनता मांग कर रही है कि एआरटीओ तुरंत सख्त कदम उठाएं और यातायात व्यवस्था को सुधारें, ताकि रामनगर की सड़कों पर हादसों का सिलसिला रोका जा सके।