सूरह फातिहा (अल-फातिहा) – अरबी, हिंदी और अनुवाद
अरबी:
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
ٱلْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ ٱلْعَٰلَمِينَ
ٱلرَّحْمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ
مَٰلِكِ يَوْمِ ٱلدِّينِ
إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَإِيَّاكَ نَسْتَعِينُ
ٱهْدِنَا ٱلصِّرَٰطَ ٱلْمُسْتَقِيمَ
صِرَٰطَ ٱلَّذِينَ أَنْعَمْتَ عَلَيْهِمْ غَيْرِ ٱلْمَغْضُوبِ عَلَيْهِمْ وَلَا ٱلضَّالِّينَ
हिंदी उच्चारण:
बिस्मिल्ला-हि र्रहमा-नि र्रहीम।
अल्हम्दु लिल्ला-हि रब्बि-ल्आ-लमीन।
अर्रहमा-नि र्रहीम।
मालिकि यौमिद्दीन।
इय्या-क नअब्दु व इय्या-क नस्तईन।
इह्दिनस्सिरा-तल मुस्तकीम।
सिरा-तल्लज़ी-न अनअ-म्ता अलाईहि-म ग़ैरि-ल्मग़दूबि अलाईहि-म व लद्दा-ल्लीन।
अनुवाद (हिन्दी में अर्थ):
“शुरुआत अल्लाह के नाम से जो रहमान (बहुत मेहरबान) और रहीम (निहायत रहम वाला) है।
सब तारीफें अल्लाह के लिए हैं, जो सारे जहानों का पालनहार है।
जो बड़ा कृपावान और अत्यंत दयालु है।
जो न्याय के दिन (क़यामत के दिन) का मालिक है।
(ऐ अल्लाह!) हम सिर्फ तेरी ही इबादत करते हैं और तुझ ही से मदद मांगते हैं।
हमें सीधा रास्ता दिखा।
उन लोगों का रास्ता जिन पर तूने इनाम किया, न कि उनका जिन पर तेरा ग़ज़ब हुआ और न ही उनका जो भटक गए।”
सूरह फातिहा कुरआन की सबसे अहम सूरह है और इसे हर नमाज़ की हर रकात में पढ़ना जरूरी है।