काशीपुर: पटवारी गौरव चौहान की ‘क़लम’ का कमाल! एक व्यक्ति के दो आय प्रमाण पत्र, दोनों में अलग-अलग इनकम दर्ज

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काशीपुर: पटवारी गौरव चौहान की ‘क़लम’ का कमाल! एक व्यक्ति के दो आय प्रमाण पत्र, दोनों में अलग-अलग इनकम दर्ज

अज़हर मलिक

काशीपुर तहसील से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां पटवारी गौरव चौहान ने एक ही व्यक्ति के दो अलग-अलग आय प्रमाण पत्र जारी कर दिए, जिनमें दर्ज आय भी अलग-अलग है। यह मामला सरकारी दस्तावेजों की पारदर्शिता और प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। मोहम्मद हनीफ, पिता मोहम्मद रफीक, निवासी पाकीज़ा कॉलोनी, गिरीताल, काशीपुर, को तहसील प्रशासन द्वारा दो बार आय प्रमाण पत्र जारी किए गए। पहला प्रमाण पत्र 21 फरवरी 2025 को जारी हुआ, जिसमें हनीफ की वार्षिक आय ₹96,000 दर्ज है। लेकिन 16 मार्च 2025 को दूसरा प्रमाण पत्र जारी किया गया, जिसमें उनकी वार्षिक आय घटाकर ₹54,000 कर दी गई। सवाल यह उठता है कि महज 23 दिनों में हनीफ की आय आधी कैसे हो गई?

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आखिर इन 23 दिनों के अंदर ऐसी कौन सी आपातकालीन स्थिति पैदा हो गई कि एक व्यक्ति, जो 21 फरवरी तक सालाना ₹96,000 कमा रहा था, वह 16 मार्च को सिर्फ ₹54,000 की आय पर पहुंच गया? अभी पूरा साल भी नहीं गुजरा, लेकिन उसकी आय में इतनी बड़ी गिरावट कैसे दर्ज कर दी गई? इससे भी बड़ा सवाल यह है कि आखिर कौन से नियम के तहत 23 दिनों के अंदर ही दो अलग-अलग आय प्रमाण पत्र जारी किए जा सकते हैं? अगर यह भ्रष्टाचार नहीं तो क्या है? पटवारी गौरव चौहान ने इस मामले में मोहम्मद हनीफ पर इतनी मेहरबानी क्यों कर दी?

 

आय प्रमाण पत्र सरकारी योजनाओं, छात्रवृत्तियों और अन्य वित्तीय लाभों के लिए अनिवार्य दस्तावेज होता है। इस मामले में दो अलग-अलग प्रमाण पत्र जारी होने से संदेह पैदा होता है कि क्या किसी विशेष लाभ के लिए दस्तावेजों में हेरफेर किया गया? प्रशासन की लापरवाही के चलते यह भी सवाल उठता है कि आय प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया कितनी पारदर्शी है और क्या यह सिस्टम में गड़बड़ी का संकेत है? अगर 96,000 वाली आय सही थी तो 54,000 वाला प्रमाण पत्र गलत है। और अगर 54,000 सही था, तो फिर 96,000 वाली आय का प्रमाण पत्र झूठा था। दोनों में से एक प्रमाण पत्र गलत है, और यह तय करना प्रशासन का काम है कि आखिर गलती कहां हुई और इसके लिए कौन जिम्मेदार है।

 

सूत्रों के अनुसार, यह कोई पहला मामला नहीं है। पहले भी तहसील स्तर पर इस तरह की गड़बड़ियां सामने आ चुकी हैं, जहां फर्जी या हेरफेर किए गए आय प्रमाण पत्रों के जरिए सरकारी योजनाओं का अनुचित लाभ उठाया गया। अब सवाल उठता है कि क्या इस मामले में कोई निष्पक्ष जांच होगी? क्या पटवारी गौरव चौहान पर कोई कार्रवाई होगी? या फिर यह मामला भी प्रशासनिक फाइलों में दफन होकर रह जाएगा? यदि इस मामले की गहराई से जांच की जाए, तो संभव है कि ऐसे और भी मामले सामने आएं, जहां सरकारी दस्तावेजों में हेरफेर कर लाभ उठाया गया हो। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस पर क्या रुख अपनाता है और क्या इस गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई ठोस कार्रवाई होती है या नहीं।

 

 

 

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