वन भूमि की सुरक्षा में मिसाल बना तराई पश्चिमी वन प्रभाग डीएफओ प्रकाश चंद्र आर्य के नेतृत्व में चला बड़ा अभियान
अज़हर मलिक
रामनगर/जसपुर, 24 मई 2025 : तराई पश्चिमी वन प्रभाग में वन भूमि की सुरक्षा को लेकर चल रही कार्रवाई अब एक मिसाल बन चुकी है। प्रभागीय वनाधिकारी (डीएफओ) प्रकाश चंद्र आर्य के नेतृत्व में वन विभाग ने बीते दो दिनों में अतिक्रमणकारियों के खिलाफ दो बड़ी कार्रवाइयाँ कर लगभग 37 हेक्टेयर आरक्षित वन भूमि को कब्जे से मुक्त कराया है।
22 मई को आमपोखरा रेंज की पश्चिमी शिवनाथपुर बीट और 24 मई को कुमुगडार आरक्षित वन क्षेत्र में की गई इन कार्रवाइयों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वन भूमि पर अब किसी भी तरह का अवैध कब्जा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विभाग ने अतिक्रमण हटाकर खाई खोदी, जुताई कर जमीन को पुनः वन भूमि में परिवर्तित कर दिया।
वन गुज्जरों के अवैध निर्माणों पर चला बुलडोज़र
शिवनाथपुर क्षेत्र में लंबे समय से बसे वन गुज्जरों द्वारा टावर, झोपड़ियाँ और अस्थाई निर्माण कर जंगल की भूमि पर कब्जा किया गया था। डीएफओ प्रकाश चंद्र आर्य की अगुवाई में इन अतिक्रमणों पर सख्त कार्रवाई करते हुए टावर तोड़े गए और अस्थाई ढांचों को हटाया गया।
इन कार्रवाइयों में जसपुर के उप प्रभागीय वनाधिकारी, वन सुरक्षा बल, समस्त रेंज स्टाफ, राजस्व विभाग और पुलिस बल की संयुक्त भागीदारी रही। हर रेंज के वन क्षेत्राधिकारी मौके पर मौजूद रहे, जिससे यह अभियान शांतिपूर्ण और प्रभावी रहा।
डीएफओ प्रकाश चंद्र आर्य की गिनती उन अधिकारियों में होती है जो सिर्फ कागज़ी कार्रवाई नहीं, बल्कि ज़मीन पर नतीजे देने में विश्वास रखते हैं। पर्यावरण संरक्षण, अवैध खनन के विरुद्ध अभियान, और अब अतिक्रमण हटाने की ये कार्रवाइयाँ उनकी कार्यशैली का प्रमाण हैं।
वन विभाग की यह मुहिम आगे भी जारी रहेगी
डीएफओ का कहना है कि “आरक्षित वन क्षेत्र सिर्फ सरकार की नहीं, प्रकृति की धरोहर हैं। हम इन्हें हर कीमत पर संरक्षित रखेंगे।” विभाग अब अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में भी इसी प्रकार की कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।
जहां एक ओर देशभर में अतिक्रमण से जंगल सिकुड़ रहे हैं, वहीं तराई पश्चिमी वन प्रभाग में वन भूमि को बचाने की ये कार्यवाहियाँ एक प्रेरणा हैं। डीएफओ प्रकाश चंद्र आर्य का नेतृत्व इस बात का प्रमाण है कि मजबूत इच्छाशक्ति हो तो कोई भी मिशन नामुमकिन नहीं होता।