कैसे निभाएंगे जिम्मेदार अपना फर्ज, जब कर रहे हैं गंभीर मामलों की अनदेखी?
काशीपुर में बिना अग्निशमन सुरक्षा के चल रहे अस्पताल, जिम्मेदार विभाग बेखबर
अज़हर मलिक
उधम सिंह नगर: उत्तराखंड के काशीपुर शहर में अग्निशमन विभाग और स्वास्थ्य प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आ रही है। यहां कई अस्पताल ऐसे हैं जो अग्नि सुरक्षा के मानकों पर खरे नहीं उतरते, फिर भी संचालित किए जा रहे हैं। नियमों को ताक पर रखकर ‘शॉर्टकट अधिकारियों’ से मेल-जोल कर जोड़-तोड़ के ज़रिए NOC (अनापत्ति प्रमाण पत्र) प्राप्त किए जा रहे हैं।
कुछ अस्पतालों में एग्जिट प्वाइंट सिर्फ कागजों में दर्शाए गए हैं, जबकि जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है। अग्निशमन यंत्र अधूरे हैं, फायर अलार्म और स्प्रिंकलर जैसी मूलभूत व्यवस्थाएं नदारद हैं। इसके बावजूद ये अस्पताल ना केवल चल रहे हैं, बल्कि सरकारी योजनाओं का लाभ भी ले रहे हैं।
मुरादाबाद रोड पर स्थित नव्या मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल की इमारत तो मानकों को पूरी तरह ठेंगा दिखा रही है। जिस स्थान पर यह अस्पताल बना है, वहां से आपात स्थिति में सुरक्षित निकासी की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं है। अगर यहां कभी कोई बड़ी दुर्घटना हो जाए, तो जान-माल के भारी नुकसान से इनकार नहीं किया जा सकता।
देश में आग की घटनाओं से सबक लेने की जरूरत
पिछले कुछ वर्षों में देश के अलग-अलग हिस्सों से कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जो अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती हैं।
2021 में महाराष्ट्र के भंडारा जिला अस्पताल में शॉर्ट सर्किट से लगी आग में 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई थी।
2022 में अहमदाबाद के एक कोविड अस्पताल में आग लगने से 6 मरीजों की मौत हुई थी।
2023 में दिल्ली के विवेक विहार स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में आग से तीन लोगों की जान चली गई थी।
इन घटनाओं के बावजूद यदि अधिकारी और संस्थाएं आंख मूंदे बैठे रहें, तो यह केवल लापरवाही नहीं, बल्कि एक अपराध है।
गौरतलब है कि यह मामला मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के गृह जनपद उधम सिंह नगर से जुड़ा है। ऐसे में यह सवाल और भी गंभीर हो जाता है कि जब मुख्यमंत्री के जिले में ही इस तरह की लापरवाही हो रही है, तो प्रदेश के बाकी हिस्सों की क्या स्थिति होगी — यह सोचकर ही चिंता बढ़ जाती है।
अब ज़रूरत इस बात की है कि ऐसे अस्पतालों पर सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई हादसा किसी की ज़िंदगी न लील सके।