कहां गायब हो गई हाईवे किनारे की करोड़ों की बंजर भूमि?
यामीन विकट
ये वो जमीन है जो कभी आयुर्वेदिक अस्पताल की नींव बन सकती थी, लेकिन अब इसकी खुद की नींव तक खो चुकी है…! ठाकुरद्वारा-मुरादाबाद हाईवे से सटी सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज गाटा संख्या 595 (ग) – जिसे बंजर भूमि बताया गया – अब एक पहेली बन चुकी है। कभी इस पर अस्पताल बनने की मंजूरी मिली थी, लेकिन सीमांकन के अभाव में वो सपना वहीं थम गया। नगर पालिका अध्यक्ष ने उपजिलाधिकारी को पत्र भी भेजा, मगर मामला वहीं का वहीं अटका है। उधर चर्चाएं हैं।
कि इस जमीन पर किसी दबंग ने अवैध निर्माण कर कब्जा जमा लिया, तो कोई इसे बड़ा खेल बता रहा है जिसमें जानबूझकर मामले को उलझाया गया। करीब सवा बीघा की इस कीमती जमीन को लेकर नगर निवासी अकील अहमद ने 19 अप्रैल 2025 को समाधान दिवस में शिकायती पत्र दिया था कि भौतिक विभाजन के बिना निर्माण कराया जा रहा है, जिसके बाद निर्माण कार्य रुकवाया गया – लेकिन अब नई चर्चा ये है कि ये शिकायत भी एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा थी, ताकि जमीन के असली सौदे को आसान बनाया जा सके। कुल मिलाकर बात ये है कि न सीमांकन हुआ, न सच सामने आया, और न ही अस्पताल बना – बस बची है तो ये रहस्यमयी गुमशुदगी… अब जनता बस यही पूछ रही है – “कहां गई हाईवे से सटी करोड़ों रुपये की बंजर भूमि?”