प्रदेश की सरकारी शिक्षा का हाल भगवान भरोसे बिना प्रधानाचार्य आठ साल से चल रहा स्कूल
अज़हर मलिक, गरुड़
गोमती घाटी में एक एसा स्कूल भी है जो आठ सालों से बिना प्रधानाचार्य के भगवान भरोसे ही संचालित हो रहा है, देखने में तो बाहर से स्कूल काफी ठीक दिखाय़ी देता हैं लेकिन हालात ये हैं कि बारिश में छत टपकने लगती है, पहाडों के नौनीहाल जहां इन्ही सरकारी स्कूलों के भरोसे बच्चों का जीवन संवारने के सपने सजोते हैं तो वहीं सरकारें उन्ही नौनीहालों के भविष्य के साथ खिलवाड कैसे कर रही है ये स्कूल इस बात का गवाह है, क्या है पुरी हकीकत स्कूल की शिक्षा व्यवस्था की देखें।
मान सिंह गुसाई राजकीय इंटर कॉलेज (राइंका) छत्यानी आठ साल से बगैर प्रधानाचार्य के चल रहा है। स्कूल का भवन बाहर से देखने में तो ठीक है लेकिन हल्की बारिश में छत टपकने लगती है। स्कूल में प्रयोगशाला न होने से विज्ञान के विद्यार्थियों को दिक्कतें होती हैं। राइंका छत्यानी गरुड़ ब्लॉक का सुदूरवर्ती विद्यालय है। कालेज में वर्तमान में 150 छात्र छात्राएं पढ़ रहे हैं। गोमती घाटी के सामाजिक कार्यकर्ता मोहन सिंह भंडारी ने बताया कि कॉलेज का 2014 में हाईस्कूल से इंटर में उच्चीकरण हुआ। सरकार ने आज तक यहां पर प्रधानाचार्य की नियुक्ति नहीं की है। कॉलेज में वर्तमान में पांच प्रवक्ता और छह एलटी संवर्ग के शिक्षक हैं।
पुष्कर सिंह भंडारी, अध्यक्ष अभिभावक शिक्षक संघ ने बताया कि कक्षाएं पुराने भवन में चल रही हैं। विज्ञान प्रयोगशाला की उचित व्यवस्था नहीं होने से बच्चे विज्ञान के प्रयोग नहीं कर पाते है। बच्चों के बैैठने के लिए कमरों की व्यवस्था नहीं होने के कारण अधिकतर अभिभावक अपने पाल्यों को मैगड़ीस्टेट या फिर गरुड़ के स्कूलों में भेजने को मजबूर है। भवन निर्माण के संबंध में कई बार विधायक /कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास, डीएम बागेश्वर से कह दिया है। शासन प्रशासन ने आज तक भवनों का निर्माण नहीं किया। हल्की बारिश में स्कूल की छत टपकने लगती है।