तीन नई नर्सिंग अधिकारी मिलने से मिली राहत, लेकिन काशीपुर अस्पताल में अभी भी खाली हैं पद
अज़हर मलिक
काशीपुर के एलडी भट्ट राजकीय उप जिला चिकित्सालय को आखिरकार तीन नई नर्सिंग अधिकारी मिल गई हैं। इससे अस्पताल में कार्यरत स्टाफ को कुछ राहत तो जरूर मिलेगी, लेकिन ज़मीनी हालात अब भी पूरी तरह सुधरे नहीं हैं।
दरअसल, अस्पताल में स्टाफ नर्स के 30 पद स्वीकृत हैं, लेकिन लंबे समय से केवल 24 पर ही कर्मचारी तैनात थे। छह पद रिक्त चल रहे थे, जिनमें से अब तीन पर नई तैनाती हुई है। यानी अभी भी तीन पद खाली हैं — और यही सवाल खड़ा करता है कि स्वास्थ्य सेवा जैसी ज़रूरी व्यवस्था में भी नियुक्तियों की रफ्तार इतनी धीमी क्यों है?
नर्सिंग स्टाफ की ड्यूटी ओटी, प्रसव कक्ष, ट्रामा यूनिट और महिला-पुरुष वार्डों में होती है। काम का दबाव पहले से ही काफी अधिक था। कई बार कर्मचारियों को छुट्टियों के लिए भी आपस में तालमेल बैठाना पड़ता है, जिससे सिस्टम की अंदरूनी कमी और ज़्यादा उजागर होती है।
सीएमएस डॉ. राजीव कुमार गांधी का कहना है कि नई नियुक्तियों से समस्या काफी हद तक हल होगी। लेकिन सवाल यही है — क्या ये सिर्फ एक ‘फौरी राहत’ है या स्थायी समाधान की शुरुआत?
तीन संविदा नर्सों को स्थायी नियुक्ति मिलने पर हल्द्वानी और रुद्रपुर भेज दिया गया, और अब तीन नए चेहरे तैनात हुए हैं। मगर जब तक सभी स्वीकृत पदों को भरने की ईमानदार कोशिश नहीं होगी, तब तक ये नियुक्तियां मरीजों को पूरी तरह राहत देने में शायद ही सफल हो सकें।
सवाल अब भी कायम है। क्या स्वास्थ्य विभाग सिर्फ आँकड़ों में सुधार दिखाने में जुटा है, या फिर ज़मीनी सुधार की कोई ठोस मंशा भी है?