मुंबई लोकल ट्रेन हादसा: चलती ट्रेन से गिरकर 5 यात्रियों की मौत, उठे सुरक्षा पर बड़े सवाल
मुंबई की जीवनरेखा मानी जाने वाली लोकल ट्रेनें एक बार फिर ख़तरनाक हकीकत का सबूत बन गईं। सोमवार सुबह मुंबई के ठाणे ज़िले के मुम्ब्रा स्टेशन के पास एक दर्दनाक हादसा हुआ, जिसमें 5 लोगों की मौत हो गई, जबकि 8 से अधिक यात्री गंभीर रूप से घायल हुए।
यह हादसा उस वक्त हुआ जब अत्यधिक भीड़भाड़ के बीच एक लोकल ट्रेन Diva से CST की ओर जा रही थी और एक अन्य ट्रेन विपरीत दिशा से गुजर रही थी। भीड़ में कई यात्री दरवाज़े के पास लटके हुए थे, और अचानक बैलेंस बिगड़ने से करीब 8 से 12 लोग चलती ट्रेन से पटरी पर गिर पड़े।
स्थानीय लोगों और रेलवे अधिकारियों ने तुरंत रेस्क्यू शुरू किया। घायलों को पास के कालेवाड़ी व सायन अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 5 लोगों को मृत घोषित कर दिया गया। मृतकों में युवा कर्मचारी और दैनिक यात्री शामिल हैं, जो रोज़ाना की तरह ऑफिस जा रहे थे।
मुंबई की लोकल ट्रेनें रोज़ाना लाखों लोगों की ज़िंदगी का हिस्सा हैं, लेकिन भीड़, खुले दरवाजे और सुरक्षा के अभाव में यह हर दिन जोखिम बनती जा रही हैं। आंकड़े बताते हैं कि मुंबई उपनगरीय रूट पर हर दिन औसतन 7 से ज़्यादा लोग ट्रेन हादसों में जान गंवाते हैं।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हादसे के बाद आपात बैठक बुलाई और ऐलान किया कि जनवरी 2026 तक सभी नॉन-AC लोकल ट्रेनों में ऑटोमैटिक डोर लगाए जाएंगे।
साथ ही, कोचों में बेहतर वेंटिलेशन, हैंडलिंग सिस्टम और तकनीकी सुधार भी लागू किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मृतकों के परिजनों को आर्थिक सहायता और घायलों को मुफ्त इलाज का भरोसा दिलाया है।
हादसे के बाद मुंबईकरों में गुस्सा है। राज ठाकरे ने मांग की कि लोकल ट्रेनों के लिए एक अलग रेलवे प्राधिकरण बनाया जाए, जो सिर्फ मुंबई की जरूरतों और सुरक्षा पर फोकस करे।
इस हादसे ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि मुंबई लोकल की रफ्तार के साथ सुरक्षा की रफ्तार मेल नहीं खा रही है। ऑटोमैटिक डोर जैसे सुधार ज़रूरी हैं, लेकिन जब तक भीड़ प्रबंधन, समयबद्ध ट्रेनों और यात्री जागरूकता पर काम नहीं होगा — तब तक हर स्टेशन पर मौत खड़ी रहेगी।