भाजपा विधायक ने खोली अपनी ही सरकार की पोल “सेवा विस्तार के नाम पर अधिकारी मेवा खा रहे हैं
उत्तराखंड की सियासत में एक बार फिर अंदरूनी घमासान खुलकर सामने आ गया है। लैंसडाउन से भाजपा विधायक महंत दिलीप रावत ने अपनी ही सरकार के खिलाफ ऐसा बयान दे दिया है जिसने सत्ता के गलियारों में हलचल मचा दी है। महंत दिलीप रावत ने आरोप लगाया है कि उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड यानी यूपीसीएल में भारी भ्रष्टाचार हो रहा है। उन्होंने कहा कि सेवा विस्तार के नाम पर अधिकारी सिर्फ मेवा खा रहे हैं।
विधायक ने साफ तौर पर कहा कि यूपीसीएल में सब कुछ अस्थायी हो गया है — टेंपरेरी एमडी, टेंपरेरी डायरेक्टर, और इन पोस्टों की खरीद-फरोख्त खुलेआम हो रही है। पैसा देकर कुर्सियाँ दी जा रही हैं, और जो लोग इन पदों पर बैठे हैं, वो जमीन पर काम नहीं बल्कि सिर्फ मलाई काटने में लगे हैं।
महंत दिलीप रावत ने अपने क्षेत्र का जिक्र करते हुए कहा कि हाल ही में एक विद्युत कर्मी की ऑन ड्यूटी करंट लगने से मौत हो गई। उन्होंने इस हादसे की सीधी जिम्मेदारी सिस्टम की लापरवाही पर डालते हुए कहा कि इस वक्त विभाग में कोई स्थायित्व नहीं है। मेरे डिवीजन में जेई और एसडीओ पता नहीं कहां से आ गए हैं। कोई जवाबदेही नहीं है, कोई निगरानी नहीं है और कोई फील्ड में काम नहीं कर रहा।
विधायक ने ये भी कहा कि उन्होंने खुद कई बार यूपीसीएल के एमडी से बात की, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ। उनका साफ आरोप है कि सेवा विस्तार के बहाने कुछ अफसर बस कुर्सियों से चिपके बैठे हैं, और इस पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता का तो नामो-निशान नहीं है।
इस बयान के बाद सवाल ये उठता है कि अगर सत्ता पक्ष का विधायक खुद अपने विभाग पर इतना बड़ा आरोप लगाए — तो फिर सरकार किसके कहने पर चलेगी? अफसरशाही का दखल क्या अब जनप्रतिनिधियों की बातों से ऊपर हो गया है?
दिलीप रावत का बयान सिर्फ व्यक्तिगत शिकायत नहीं, बल्कि एक पूरी व्यवस्था पर सवाल है। यह वही व्यवस्था है जो विकास का दावा करती है, लेकिन ज़मीन पर अधिकारी नदारद हैं, और क्षेत्र में अफरातफरी मची है।
अब देखना ये होगा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस बयान पर क्या रुख अपनाते हैं — चुप्पी साधते हैं या फिर कोई सख्त कदम उठाया जाता है।