“Alhamdu Ki Surat: इस आयत का मतलब, फज़ीलत और असर”
“Alhamdu ki Surat”, जिसे हम सूरह फातिहा के नाम से भी जानते हैं, कुरान की सबसे पहली और सबसे अहम सूरह मानी जाती है। यह सूरह सात आयतों पर आधारित है और हर नमाज़ की हर रकात में इसे पढ़ना अनिवार्य है।
“अल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन…” से शुरू होने वाली यह सूरह सिर्फ एक दुआ नहीं, बल्कि अल्लाह की तारीफ़, रहमत, और इंसान की हिदायत की पुकार है।
🌙 इसका महत्व:
इसे “उम्मुल किताब” यानी “कुरान की माँ” कहा गया है।
ये सूरह शिफा और रहमत की दुआ मानी जाती है।
अगर कोई इसे समझ कर पढ़े, तो उसके दिल को सुकून और ज़ुबान को तवज्जोह मिलती है।
📖 फज़ीलत:
हदीसों में आता है कि अल्लाह तआला ने फरमाया, “मैंने अपने बंदे और मेरे बीच इस सूरह को आधा-आधा बांट दिया है। और मेरे बंदे को वह मिलेगा जो वह मुझसे मांगेगा।”
2025 में जब दुनियाभर में मानसिक बेचैनी, तनाव और भटकाव बढ़ रहा है, ऐसे में “Alhamdu Ki Surat” को समझना और उसका अमल करना इंसान की रूह को स
कून देने वाला अमल है।