Alhamdu Ki Surat in Hindi: सूरह अल-फातिहा का महत्व, तर्जुमा और फायदे

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Alhamdu Ki Surat in Hindi: सूरह अल-फातिहा का महत्व, तर्जुमा और फायदे

 

“अलहम्दु की सूरत” यानी सूरह अल-फातिहा (Surah Al-Fatiha), क़ुरआन मजीद की सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण सूरत है। यह हर नमाज़ की रुक्न है और बिना इसके कोई नमाज़ मुकम्मल नहीं होती। इस सूरत को मुसलमान रोज़ाना अपनी पांच वक्त की नमाज़ों में पढ़ते हैं, इसलिए इसे “उम्मुल किताब” यानी क़ुरआन की मां भी कहा जाता है।

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इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे:

 

सूरह अल-फातिहा का तर्जुमा (हिंदी में अर्थ)

 

इसके खास नाम

 

इस सूरत की फजीलत और फायदे

 

क्यों यह हर नमाज़ में दोहराई जाती है

 

और आखिर में कुछ अहम इस्लामी हदीसें

 

 

 

 

🕋 सूरह अल-फातिहा: मूल अरबी

 

> بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيمِ

الْـحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ

الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيمِ

مَالِكِ يَوْمِ الدِّينِ

إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَإِيَّاكَ نَسْتَعِينُ

اهْدِنَا الصِّرَاطَ الْمُسْتَقِيمَ

صِرَاطَ الَّذِينَ أَنْعَمْتَ عَلَيْهِمْ غَيْرِ الْمَغْضُوبِ عَلَيْهِمْ وَلَا الضَّالِّينَ

 

 

 

 

 

 

📖 तर्जुमा (हिंदी में अर्थ)

 

1. हम शुरू करते हैं अल्लाह के नाम से, जो रहमान और रहीम है।

2. सारी तारीफें उस अल्लाह के लिए हैं जो सब जहानों का पालनहार है।

3. जो रहमान है, रहीम है।

4. जो दिन-ए-जज़ा (बदला मिलने वाले दिन) का मालिक है।

5. हम सिर्फ तेरी ही इबादत करते हैं और सिर्फ तुझसे ही मदद मांगते हैं।

6. हमें सीधा रास्ता दिखा।

7. उन लोगों का रास्ता जिन पर तूने इनाम किया, ना कि उन पर जो गुमराह हुए या जिन पर तेरा ग़ज़ब हुआ।

 

 

 

🌟 इस सूरत के विशेष नाम

 

नाम मतलब

 

अल-फातिहा शुरुआत करने वाली (The Opening)

उम्मुल किताब किताब की मां

अस-सबअ अल-मसानी सात दोहराई जाने वाली आयतें

शिफा रोगों से राहत देने वाली

रुक्न-ए-नमाज़ नमाज़ का आधार

 

 

 

 

📌 क्यों जरूरी है सूरह अल-फातिहा?

 

1. हर नमाज़ का अभिन्न हिस्सा – बिना अल-फातिहा के नमाज़ नहीं होती

 

 

2. रूहानी इलाज – मानसिक और शारीरिक बीमारियों से राहत के लिए इसे पढ़ा जाता है

 

 

3. सीधा रास्ता दिखाने की दुआ – यह सूरत हमें हिदायत मांगने का ज़रिया बनाती है

 

 

4. जन्नत का रास्ता – सही रास्ते पर चलने की दुआ करने वाली इकलौती सूरत

 

 

 

 

 

🕌 .

 

हदीस 1:

रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया: “अल्लाह ने मुझे एक ऐसी सूरत दी है जो न तो किसी नबी को दी गई और न किसी किताब में।” (सहीह मुस्लिम)

 

हदीस 2:

“जिसने सूरह अल-फातिहा पढ़ी, उसके लिए अल्लाह ने हर आयत पर इनाम लिखा।” (मुसंद अहमद)

 

हदीस 3:

“यह सूरत कुरआन की मां है और हर बीमारी के लिए शिफा है।” (अबू दाऊद)

 

 

 

💡 कब-कब पढ़ना चाहिए?

 

हर नमाज़ की हर रकअत में

 

सोने से पहले 3 बार

 

बीमार व्यक्ति पर दम करते वक्त

 

सुबह और शाम की दुआओं में

 

किसी नई शुरुआत से पहले

 

 

🧠 बच्चों को कैसे सिखाएं?

 

1. रोजाना सोने से पहले इस सूरत को सुनाएं

 

 

2. छोटे-छोटे हिस्सों में याद कराएं

 

 

3. इसका अर्थ भी बताएं ताकि वो सिर्फ रटें नहीं, समझें

 

 

4. YouTube/Islamic ऐप्स से वर्चुअल लर्निंग

 

 

 

 

 

🤲 सूरह अल-फातिहा से जुड़ी दुआ

 

> “ऐ अल्लाह! हमें वही रास्ता दिखा जो तूने अपने नेक बंदों को दिखाया। हमें गुमराहों के रास्ते से बचा।”

 

 

 

 

 

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Alhamdu शब्द ही सूरह अल-फातिहा की पहली आयत है: “अल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल ‘आलमीन”

 

 

 

 

“Alhamdu Ki Surat” सिर्फ कुरआन की शुरुआत नहीं है, बल्कि मुसलमानों की ज़िंदगी की दिशा है। यह दुआ, रहमत, हिदायत और मोहब्बत का वो नज़्म है जो हर नमाज़ में खुद अल्लाह से सीधा रिश्ता बनाता है। इसका हर लफ्ज़ अपने अंदर बरकत, शिफा और रूहानी असर लिए हुए है।

 

 

 

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