Alhamdu Ki Surat: अल्हम्दु शरीफ की ताकत और इसके रोज़ पढ़ने के फायदे क्या हैं?
कुरान शरीफ की पहली सूरत ‘Surah Al-Fatiha’ को आम बोलचाल में “अल्हम्दु की सूरह” कहा जाता है। यह सात आयातों वाली छोटी मगर सबसे महत्वपूर्ण सूरत है जिसे हर नमाज़ में पढ़ा जाता है। इसका पहला शब्द “अल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन” होने के कारण इसे “अल्हम्दु की सूरह” कहा जाता है।
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Surah Al-Fatiha क्यों है इतनी अहम?
Surah Al-Fatiha इस्लाम में “उम्मुल किताब” यानी “किताबों की माँ” मानी जाती है। इसमें अल्लाह की तारीफ, रहमत, मालिकियत और हिदायत की दुआ शामिल होती है। इसे हर मुसलमान दिन में कम से कम 17 बार पढ़ता है (हर नमाज की हर रकात में)।
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अल्हम्दु शरीफ पढ़ने के फायदे क्या हैं?
1. दिल को सुकून और राहत मिलती है
2. रोज़ाना की मुश्किलों से निकलने में मदद करता है
3. रिज़्क़ में बरकत आती है
4. बुरी नजर और जादू से हिफाज़त करता है
5. अल्लाह से सीधा रिश्ता मजबूत होता है
क्या अल्हम्दु की सूरह से इलाज भी होता है?
हां, इस्लामी रूहानी इलाज़ (spiritual healing) में अल्हम्दु की सूरह को बार-बार पढ़कर बीमारियों, डर, मानसिक तनाव और बुरे ख्वाबों से बचाव के लिए पढ़ा जाता है। कुछ हदीसों में इसे शिफा (इलाज) की सूरत भी बताया गया है।
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अल्हम्दु शरीफ का मतलब क्या है?
“अल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन” का अर्थ होता है – “हर तरह की तारीफ अल्लाह के लिए है, जो सारे जहानों का पालनहार है।”
यह इंसान को याद दिलाता है कि उसकी हर नेमत, हर राहत, हर सफलता सिर्फ अल्लाह के करम से है।
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निष्कर्ष:
‘अल्हम्दु की सूरह’ न सिर्फ एक आयतों का समूह है, बल्कि यह मुसलमान की जिंदगी में हर दिन की शुरुआत है, हर नमाज़ का आधार है और हर परेशानी का इलाज भी। इसे समझकर और यकीन के साथ पढ़ने से न सिर्फ रूह को राहत मिलती है, बल्कि जिंदगी को भी सही रास्ता मिलता है।