उत्तराखंड की “मित्र पुलिस” का खौफनाक चेहरा: कांस्टेबल की पिटाई से युवक ने की आत्महत्या, कोटाबाग चौकी पर ग्रामीणों का महाघेराव, गूंजे ‘मुर्दाबाद’ के नारे
ये कोई फिल्मी कहानी नहीं… ये हकीकत है उस उत्तराखंड की, जहां पुलिस को जनता का रक्षक कहा जाता है, ‘मित्र पुलिस’ कहा जाता है। लेकिन जब वही रक्षक अत्याचार का प्रतीक बन जाए, जब लाठी की चोट इंसान की आत्मा तक को तोड़ दे — तब क्या बचेगा भरोसे का कोई कोना?
कालाढूंगी थाना क्षेत्र की कोटाबाग पुलिस चौकी से उठी ये चीख अब पूरे उत्तराखंड में गूंज रही है। कमल नगरकोटि नाम का एक युवा… जिसे शायद उम्मीद थी इंसाफ की, लेकिन मिला क्या? कांस्टेबल परमजीत की ऐसी निर्मम पिटाई, कि युवक ने दुनिया ही छोड़ दी। जी हां — आत्महत्या कर ली। ये कोई सामान्य घटना नहीं, ये उस सिस्टम पर तमाचा है जो खुद को ‘जन सेवा’ का दावा करता है।
मृतक के पिता बिशन नगरकोटि ने जब पूरा मामला बताया, तो आंखें नम और जुबान कांप रही थी — बेटे को पीटने वाली वही पुलिस आज चुप है, मगर गांव नहीं चुप बैठा। पूरे कोटाबाग ने पुलिस चौकी को घेर लिया है। चारों तरफ गूंज रहे हैं — “पुलिस प्रशासन मुर्दाबाद!”, इंसाफ दो! दोषियों को सस्पेंड करो!
अब सवाल सिर्फ एक नहीं — कई हैं: क्या उत्तराखंड की मित्र पुलिस अब भय की पहचान बन चुकी है? क्या वर्दी वालों पर कार्रवाई होगी? क्या कमल की मौत यूं ही फाइलों में दफन हो जाएगी? या फिर उठेगी एक नई क्रांति… कोटाबाग से?