पीले राशन कार्ड के लिए नई शर्तों से गरीबों की मुश्किलें बढ़ीं, स्थायी निवास प्रमाण और प्रतीक्षा की बाध्यता बनी चिंता का कारण
उत्तराखंड सरकार द्वारा पीले राशन कार्ड बनाए जाने की प्या में हाल ही में जोड़े गए नए नियमों ने आम जनता, विशेषकर गरीब और निम्न आयवर्ग के परिवारों के सामने एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। अब पीले राशन कार्ड के लिए “स्थायी निवास प्रमाण पत्र” अनिवार्य कर दिया गया है, और इसके साथ ही एक और शर्त जोड़ी गई है — नया राशन कार्ड तब तक नहीं बनेगा जब तक किसी मौजूदा कार्डधारक का कार्ड रद्द न हो जाए।
इस व्यवस्था पर नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए काशीपुर नगर निगम के वार्ड 12 के पार्षद और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अब्दुल कादिर ने कहा कि ये नीति समाज के सबसे ज़रूरतमंद तबकों के साथ अन्याय है। उनका कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जहां आज भी दस्तावेज़ों की उपलब्धता एक बड़ी समस्या है, वहां स्थायी निवास प्रमाण पत्र बनवाना हर किसी के लिए आसान नहीं है। साथ ही, किसी दूसरे के कार्ड रद्द होने की प्रतीक्षा करना अमानवीय और तर्कहीन है।
अब्दुल कादिर ने सरकार से मांग की है कि राशन कार्ड की पात्रता तय करते समय व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाया जाए। उन्होंने कहा कि पीला राशन कार्ड केवल एक पहचान पत्र नहीं, बल्कि गरीबों की थाली से जुड़ा अधिकार है। इसकी प्रक्रिया को जटिल बनाना, उनके जीवन यापन पर सीधा असर डालता है।
उन्होंने सरकार के समक्ष तीन प्रमुख मांगें भी रखीं:
1. स्थायी निवास प्रमाण पत्र की बाध्यता समाप्त की जाए और स्थानीय निवास प्रमाण पत्र को भी मान्यता दी जाए।
2. राशन कार्ड की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाया जाए, ताकि पात्र व्यक्ति बिना अनावश्यक देरी के लाभ प्राप्त कर सकें।
3. किसी अन्य व्यक्ति के राशन कार्ड रद्द होने की शर्त को तुरंत समाप्त किया जाए।
अब्दुल कादिर ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि इन मांगों पर सरकार ने शीघ्र विचार नहीं किया, तो आम जनता आंदोलन के लिए बाध्य होगी। उन्होंने दो टूक कहा — “जब रसोई में चूल्हा नहीं जलेगा, तो आवाज़ सड़कों पर गूंजेगी।”