उत्तराखंड BJP में संगठनात्मक बदलाव – महेंद्र भट्ट दोबारा प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त

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उत्तराखंड BJP में संगठनात्मक बदलाव – महेंद्र भट्ट दोबारा प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त

 

देहरादून (1 जुलाई 2025): उत्तराखंड भाजपा संगठन में बड़ा फेरबदल करते हुए पार्टी हाईकमान ने महेंद्र भट्ट को दोबारा प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर दिया है। यह निर्णय ऐसे समय पर आया है जब राज्य में कई जिलों में संगठनात्मक असंतोष और लोकसभा चुनाव के बाद अंदरूनी मतभेद सामने आ रहे थे।

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🧑‍💼 कौन हैं महेंद्र भट्ट?

 

महेंद्र भट्ट बद्रीनाथ क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं

 

इससे पहले भी 2022 में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए थे

 

सीएम पुष्कर सिंह धामी के करीबी नेताओं में गिने जाते हैं

 

सांगठनिक अनुभव और RSS से लंबे जुड़ाव के कारण दोबारा मौका

 

 

 

 

🔁 क्यों हुई नियुक्ति?

 

पार्टी में कई जिलों से संगठनात्मक कमजोरी और फीडबैक की शिकायतें

 

लोकसभा चुनावों के बाद जन संपर्क में गिरावट का आकलन

 

कई पुराने नेताओं में नाराजगी, जिसे संतुलित करने के लिए अनुभवी चेहरा लाना जरूरी था

 

हाईकमान ने “फिर से जीत का रोडमैप” तैयार करने की जिम्मेदारी भट्ट को दी है

 

 

 

 

🗣️ किसने की घोषणा?

 

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति के जरिए भट्ट की नियुक्ति की पुष्टि की। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की सहमति से यह नियुक्ति की गई।

 

 

 

🎯 भट्ट के सामने मुख्य चुनौतियाँ

 

चुनौती विवरण

 

संगठन में अनुशासन कई जिलों में गुटबाज़ी

2027 विधानसभा की तैयारी रणनीतिक बूथ विस्तार

युवा कार्यकर्ताओं को जोड़ना डिजिटल प्रचार और ग्राउंड स्तर पर सक्रियता

धामी सरकार और संगठन में तालमेल फीडबैक सिस्टम मजबूत करना

 

 

 

 

📌 धामी की चुप्पी, लेकिन समर्थन साफ

 

हालांकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया, लेकिन सूत्रों का कहना है कि उन्होंने इस नियुक्ति में मूलभूत भूमिका निभाई है।

 

 

 

🤔 विपक्ष का तंज

 

कांग्रेस प्रवक्ता ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा:

 

> “जब सत्ता ही संगठन चला रही है, तो अध्यक्ष सिर्फ नाम के लिए बदले जाते हैं।”

 

 

 

वहीं आम आदमी पार्टी ने कहा कि बदली हुई तस्वीर, लेकिन नीति वहीं पुरानी है।

 

 

 

 

महेंद्र भट्ट की दोबारा वापसी यह दर्शाती है कि भाजपा राज्य में कोई जोखिम नहीं लेना चाहती। अब देखना होगा कि वह संगठन को कितनी मजबूती के साथ फिर से खड़ा कर पाते हैं।

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