CA की डिग्री… चेहरे पर मासूमियत… लेकिन दिमाग साइबर ठगों का बादशाह! STF के हत्थे चढ़ा 750 करोड़ का चीनी कनेक्शन वाला मास्टरमाइंड
चार्टर्ड अकाउंटेंट… सुनने में जितना भरोसेमंद लगता है, असलियत में ये शख्स उतना ही खतरनाक निकला। एक ऐसा नाम जिसने भारत के आर्थिक सिस्टम को ठेंगा दिखाते हुए चीन से मिलकर ठगी का सबसे बड़ा नेटवर्क खड़ा किया — और अब STF के शिकंजे में है! दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार हुए इस ‘सफेदपोश साइबर किंग’ की कहानी किसी वेब सीरीज़ से कम नहीं। पुलिस भी हैरान है कि कैसे इस मास्टरमाइंड ने फर्जी कंपनियों के जरिए देश के बैंकों को चूना लगाया और 750 करोड़ से ज़्यादा की ठगी कर डाली।
उत्तराखंड STF ने दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया है अभिषेक अग्रवाल को, जो पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट है लेकिन दिमाग से एक चालाक ठग। पिछले तीन सालों से अभिषेक भारत में बैठकर चीन, दुबई और सिंगापुर जैसे देशों से जुड़े साइबर क्राइम नेटवर्क को ऑपरेट कर रहा था। इसने करीब 35 से 40 फर्जी कंपनियां बनाई थीं, जिनमें से 13 उसके खुद के नाम पर और 28 उसकी पत्नी के नाम पर रजिस्टर्ड थीं। हैरानी की बात यह है कि इन कंपनियों में चीनी नागरिकों को डायरेक्टर बनाया गया था ताकि ठगी को विदेशी रूप दिया जा सके।
जांच में पता चला कि अभिषेक ने भारतीयों को ऑनलाइन लोन, निवेश और स्कीम्स के नाम पर झांसे में लिया और उनसे मोटी रकम वसूली। यह पैसा सीधे इन फर्जी कंपनियों के बैंक खातों में जाता, जहां से तुरंत दूसरे खातों में ट्रांसफर कर दिया जाता था। कुछ रकम क्रिप्टोकरेंसी में बदली जाती थी, तो कुछ शॉपिंग वाउचर और वर्चुअल गिफ्ट कार्ड के रूप में खपाई जाती थी। यह पूरा नेटवर्क इतना तेज और प्लानिंग वाला था कि पैसा आते ही कुछ घंटों में ट्रेस से बाहर हो जाता।
STF ने नोएडा, दिल्ली और देहरादून से तमाम दस्तावेज, बैंक डिटेल्स और डिवाइसेज़ जब्त की हैं, जिससे पता चला है कि अब तक करीब 750 करोड़ रुपये की ठगी हो चुकी है। जांच एजेंसियों का कहना है कि असली रकम इससे कहीं ज़्यादा, यानी 1000 करोड़ रुपये से भी ऊपर हो सकती है। अब इस केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की एंट्री भी तय मानी जा रही है।
पूछताछ में अभिषेक ने माना कि वह ये रैकेट पिछले तीन सालों से चला रहा था और चीनी नागरिकों के साथ उसका डायरेक्ट संपर्क था। STF अब इस बात की जांच कर रही है कि क्या इस पूरे रैकेट में कुछ बैंकों या अफसरों की मिलीभगत भी थी? क्या वह अकेला ऑपरेट कर रहा था या कोई सफेदपोश गैंग उसके साथ था?
इस केस ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि भारत की साइबर सुरक्षा प्रणाली को और मज़बूत करने की जरूरत है। STF की तेज़ कार्रवाई ने एक बहुत बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया है, लेकिन अभी यह सफाई अधूरी है। जब तक इस नेटवर्क के सभी तार नहीं काटे जाते, तब तक इस ठगी के खतरे से देश पूरी तरह सुरक्षित नहीं कहा जा सकता।