Feux d’Artifice: रात को रोशन करने वाली ये आतिशबाज़ियाँ कितनी सुरक्षित हैं?

Advertisements

Feux d’Artifice: रात को रोशन करने वाली ये आतिशबाज़ियाँ कितनी सुरक्षित हैं?

नई दिल्ली: हर साल दुनिया भर में करोड़ों लोग Feux d’artifice, यानी आतिशबाज़ी का नज़ारा देखने इकट्ठा होते हैं। चाहे वो 14 जुलाई को फ्रांस का नेशनल डे हो, या भारत में दिवाली का त्योहार, आतिशबाज़ियाँ हर समारोह की शान होती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये चमक और शोर कितने खतरनाक केमिकल्स से बनती है?

आतिशबाज़ियों की खूबसूरती के पीछे का विज्ञान

Feux d’artifice में मुख्य रूप से पोटेशियम नाइट्रेट, सल्फर, और चारकोल होते हैं। अलग-अलग रंगों के लिए मेटल सॉल्ट्स जैसे स्ट्रॉन्टियम (लाल), कॉपर (नीला), और बैरियम (हरा) मिलाए जाते हैं। ये सब मिलकर वो रंग-बिरंगी रातें बनाते हैं, जिन्हें हम इतने उत्साह से देखते हैं।

Advertisements

पर्यावरण और स्वास्थ्य को खतरा

रिसर्च के अनुसार, आतिशबाज़ी से निकलने वाले धुएं और धूल के कण न केवल वायु प्रदूषण को बढ़ाते हैं, बल्कि दमा, एलर्जी और दिल की बीमारियों को भी जन्म दे सकते हैं। साथ ही, जानवरों के लिए भी यह एक डरावना अनुभव होता है।

फ्रांस में प्रतिबंध और सुरक्षा उपाय

फ्रांस में Feux d’artifice के लिए खास नियम हैं। बिना इजाज़त के आतिशबाज़ी बेचना या छोड़ना कानूनी अपराध माना जाता है। हर साल 14 जुलाई को बड़े स्तर पर पेरिस की आइफ़ल टॉवर पर शो होता है, लेकिन वो सब प्रोफेशनल एक्सपर्ट्स की निगरानी में।

भारत में भी सख्ती की ज़रूरत

भारत में अब कुछ राज्य ग्रीन क्रैकर्स को बढ़ावा दे रहे हैं, लेकिन स्थानीय बाजारों में अब भी बिना किसी नियम के आतिशबाज़ियाँ बिकती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बिना पंजीकरण और प्रशिक्षण के कोई भी आतिशबाज़ियाँ न छोड़े।

Advertisements
THE GREAT NEWS

THE GREAT NEWS

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *