बेलारूस की राजनीति पर फिर उठा बवंडर: लुकाशेंको की सत्ता को लेकर अंतरराष्ट्रीय विवाद तेज
यूरोप के केंद्र में स्थित बेलारूस एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में है। राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको, जो 1994 से सत्ता में हैं, एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गए हैं। हाल ही में हुए राष्ट्रपति चुनाव और विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी ने एक बार फिर से लोकतंत्र पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यूरोपीय संघ और अमेरिका ने बेलारूस पर प्रतिबंध भी लगाए हैं, जबकि रूस लगातार लुकाशेंको को समर्थन दे रहा है।
राजधानी मिन्स्क में विरोध प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। नागरिक स्वतंत्रता की मांग कर रहे लोग सड़कों पर हैं और सरकार की कड़ी कार्रवाई का सामना कर रहे हैं। कई विपक्षी नेता देश छोड़ चुके हैं या जेल में हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो सरकार की दमनकारी नीतियों की ओर इशारा कर रहे हैं।
बेलारूस का राजनीतिक संकट केवल उसके आंतरिक मामलों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूर्वी यूरोप की स्थिरता पर भी असर डाल रहा है। यूक्रेन युद्ध के बीच बेलारूस का रूस के साथ खड़ा होना नाटो देशों की चिंता बढ़ा रहा है। जानकार मानते हैं कि अगर स्थिति नहीं सुधरी तो बेलारूस अगला जियो-पॉलिटिकल फ्लैशपॉइंट बन सकता है।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या बेलारूस में कभी सच्चे लोकतंत्र की वापसी होगी? या फिर लुकाशेंको की सत्तावादी पकड़ और मजबूत होती जाएगी? फिलहाल, दुनिया की निगाहें इस छोटे लेकिन रणनीतिक रूप से अहम देश पर टिकी हुई हैं।