जुम्मे की नमाज़ कैसे पढ़ें? जानिए स्टेप बाय स्टेप तरीका, रकअतें और खुतबे की अहमियत

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जुम्मे की नमाज़ कैसे पढ़ें? जानिए स्टेप बाय स्टेप तरीका, रकअतें और खुतबे की अहमियत

प्रकाशित: 19 जुलाई 2025

इस्लामी ज्ञान डेस्क | www.aapkinews.com

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नई दिल्ली – इस्लाम में शुक्रवार यानी जुम्मा का दिन बेहद फज़ीलत और बरकत वाला माना जाता है। इस दिन मस्जिदों में भारी संख्या में लोग जमा होते हैं और नमाज़-ए-जुमा अदा करते हैं। लेकिन कई लोगों को अब भी इसका सही तरीका नहीं पता। आइए जानते हैं जुम्मे की नमाज़ पढ़ने का पूरा तरीका, नियत, रकअतें और खुतबे का महत्व।

 

 

जुमा की नमाज़ का सही तरीका

 

1. नीयत कैसे करें?

 

नियत (इरादा) इस तरह करें:

“मैं दो रकअत नमाज़ जुमा की फर्ज़, वाजिबुल अदाय, अल्लाह के लिए पढ़ता हूँ, मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ।”

 

2. कुल रकअतें कितनी होती हैं?

 

नमाज़ का हिस्सा रकअतें हुक्म

 

पहले की सुन्नत 4 सुन्नत-ए-मुअक्कदा

फर्ज़ (जमात से) 2 फर्ज़

बाद की सुन्नत 4 सुन्नत-ए-मुअक्कदा

नफ़्ल (इच्छा से) 2 नफ़्ल

 

कुल: 12 रकअतें (मक़बूल वक्त में पढ़ी जाएं)

 

खुतबा सुनना क्यों जरूरी है?

 

जुमा की नमाज़ से पहले इमाम साहब दो खुतबे (इस्लामी भाषण) देते हैं।

 

खुतबा के दौरान कोई बात करना, मोबाइल चलाना या ध्यान न देना गुनाह है।

 

यह खुतबा इस्लाम की शिक्षा, तौबा और नेकियों पर आधारित होता है।

 

खामोशी और इज्जत के साथ खुतबा सुनना वाजिब (जरूरी) है।

 

जुमा के दिन की खास सुन्नतें

 

गुस्ल (नहाना) करना

 

साफ कपड़े पहनना

 

इत्र लगाना

 

जल्दी मस्जिद जाना

 

दरूद शरीफ का ज़िक्र करना

 

सूरत अल-कहफ पढ़ना

 

दुआ करना – जुमे के दिन एक खास घड़ी होती है जब दुआ ज़रूर कबूल होती है।

 

हदीस में क्या आया है?

 

रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया:

 

> “जो जुमे के दिन गुस्ल करता है, पाक कपड़े पहनता है, मस्जिद जल्दी जाता है, खुतबा ध्यान से सुनता है – उसके पिछले जुमे से इस जुमे तक के गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं।”

(सहीह बुखारी)

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