Skills-Based Talent Practices: अब डिग्री नहीं, स्किल्स बताएँगी काबिलियत

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Skills-Based Talent Practices: अब डिग्री नहीं, स्किल्स बताएँगी काबिलियत

 

आज के तेजी से बदलते कॉर्पोरेट और इंडस्ट्री वर्ल्ड में परंपरागत जॉब हायरिंग और टैलेंट मैनेजमेंट सिस्टम में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है — और वो है Skills-Based Talent Practices का उदय। अब कंपनियाँ सिर्फ डिग्रियों और शैक्षणिक योग्यता पर भरोसा नहीं कर रहीं, बल्कि उम्मीदवार की वास्तविक स्किल्स, प्रैक्टिकल नॉलेज और प्रॉब्लम सॉल्विंग एबिलिटी को महत्व दे रही हैं। इसका मतलब है कि किसी व्यक्ति ने कौन सा कॉलेज किया, या उसके पास कितने सर्टिफिकेट हैं, यह उतना मायने नहीं रखता जितना ये कि वह व्यक्ति वास्तव में काम कर पाने की क्षमता रखता है या नहीं। यह सोच अब वैश्विक स्तर पर ट्रेंड बन चुकी है और भारत में भी तेजी से अपनाई जा रही है, खासकर डिजिटल, टेक्निकल, रिटेल, हेल्थकेयर और स्टार्टअप सेक्टर में।

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Skills-Based Talent Practices में पहला कदम होता है नौकरी की भूमिका (job role) को उसके स्किल्स के आधार पर परिभाषित करना। उदाहरण के लिए, पहले एक डेटा एनालिस्ट की पोस्ट के लिए B.Tech या MCA की डिग्री अनिवार्य मानी जाती थी, लेकिन अब कंपनियाँ देखती हैं कि उस व्यक्ति को Python, Excel, Data Visualization और Business Insights की समझ है या नहीं — अगर है, तो वह नौकरी के लिए उपयुक्त है, चाहे उसकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि कुछ भी रही हो। इसी तरह, Content Creator, Digital Marketer, UX Designer जैसे कई प्रोफेशन में स्किल्स को ही प्राथमिकता दी जा रही है। इससे न केवल प्रतिभाशाली युवाओं को मौका मिल रहा है, बल्कि हायरिंग की प्रक्रिया भी अधिक पारदर्शी और प्रभावी हो रही है।

 

 

 

 

इस बदलाव से कंपनियों को भी कई फायदे हो रहे हैं। पहले जहां रेज़्यूमे शॉर्टलिस्टिंग में समय लगता था और टैलेंट मिसमैच की समस्या रहती थी, वहीं अब AI-आधारित स्किल-मैपिंग टूल्स और स्किल असेसमेंट प्लेटफॉर्म्स के जरिए सटीक कैंडिडेट की पहचान हो रही है। कंपनियाँ अब प्रोजेक्ट-आधारित हायरिंग, गिग वर्क और माइक्रो-क्रेडेंशियल्स के माध्यम से टैलेंट को तेजी से जॉइन करा रही हैं। साथ ही, इंटरनल अपस्किलिंग और री-स्किलिंग के जरिए मौजूदा कर्मचारियों को नई जिम्मेदारियों के लिए तैयार किया जा रहा है, जिससे भर्ती लागत भी घट रही है और रिटेंशन भी बेहतर हो रहा है।

 

 

 

 

भारत सरकार और कौशल विकास मंत्रालय ने भी इस बदलाव को समर्थन दिया है। Skill India, PMKVY (प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना), और NSDC (National Skill Development Corporation) जैसे अभियानों के जरिए युवाओं को इंडस्ट्री-रेडी स्किल्स सिखाई जा रही हैं। अब कौशल आधारित शिक्षा को स्कूलों और कॉलेजों में भी शामिल किया जा रहा है ताकि छात्र शुरुआत से ही अपने करियर को लेकर व्यावहारिक रूप से तैयार हो सकें। इसके अलावा, Coursera, upGrad, edX, Skill-Lync जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स स्किल्स-आधारित लर्निंग को बढ़ावा दे रहे हैं

जहाँ छात्र छोटे

 

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