2025 के लोकसभा चुनाव की रणनीति और बयानबाज़ी
2025 के लोकसभा चुनाव को लेकर देश की सियासत गर्मा गई है, जहां एक तरफ भारतीय जनता पार्टी (BJP) ‘मोदी के नेतृत्व’ को दोहराकर विकास, राष्ट्रवाद और वैश्विक कूटनीति की उपलब्धियों को जनता के सामने रख रही है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन इंडिया फ्रंट महंगाई, बेरोजगारी, सांप्रदायिक तनाव और लोकतांत्रिक संस्थाओं के कथित दुरुपयोग को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश में जुटा है। नरेंद्र मोदी की तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने की संभावनाओं को लेकर जहां भाजपा पूरी ताकत झोंक रही है, वहीं राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस लगातार ‘भारत जोड़ो यात्रा’ जैसी गतिविधियों से जनता से सीधा संवाद स्थापित करने में लगी है। इस बार की रणनीति में डिजिटल प्रचार, सोशल मीडिया वार, जमीनी स्तर पर बूथ प्रबंधन और क्षेत्रीय दलों से गठबंधन जैसी बातें प्रमुख भूमिका निभा रही हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में बड़े दांव लग रहे हैं, जहां क्षेत्रीय दलों की भूमिका निर्णायक साबित हो सकती है। BJP अपने पुराने ‘मजबूत नेतृत्व’ और ‘विकास कार्यों’ का हवाला देकर वोटरों को आकर्षित करना चाहती है, जबकि विपक्ष सांप्रदायिक एजेंडे, मीडिया नियंत्रण, आर्थिक असमानता और अडानी-अंबानी जैसे मुद्दों को उठाकर ‘लोकतंत्र खतरे में है’ जैसी भावनात्मक अपील कर रहा है। इस बार की चुनावी बयानबाज़ी में भी तीखापन साफ दिख रहा है — जहां एक ओर अमित शाह और योगी आदित्यनाथ विपक्ष को ‘विकास विरोधी’ बता रहे हैं, वहीं विपक्षी नेता पीएम मोदी को ‘तानाशाह’ और ‘जनविरोधी’ जैसे शब्दों से निशाना बना रहे हैं। सोशल मीडिया पर दोनों पक्षों की आईटी टीमें दिन-रात एक्टिव हैं और हर बयान को वायरल बनाने की होड़ सी मची है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इस बार का चुनाव सिर्फ मुद्दों पर नहीं, बल्कि छवि, भावना और जनसंपर्क की ताकत पर लड़ा जाएगा। विपक्ष की चुनौती है कि वो ‘मोदी मैजिक’ को तोड़े, जबकि BJP की कोशिश होगी कि वो बिखरे हुए विपक्ष को ‘अस्थिरता का प्रतीक’ बताकर जनता में विश्वास बनाए रखे। जातिगत समीकरण, महिला वोटर्स को लुभाने की रणनीति, मुफ्त योजनाओं के वादे और धर्म आधारित ध्रुवीकरण — ये सभी मिलकर 2025 के लोकसभा चुनाव को और भी पेचीदा बना रहे हैं। अब देखना ये है कि क्या BJP हैट्रिक पूरी करेगी या राहुल गांधी, नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल जैसे नेता मिलकर कोई बड़ा उलटफेर कर पाएंगे। जनता के मूड का असली फैसला तो 2025 के मतदान में ही
होगा,