Indian National Congress (INC) 2025: बदलाव की कोशिश या अस्तित्व की लड़ाई
भारतीय राजनीति में अगर कोई पार्टी सबसे पुरानी और ऐतिहासिक रही है तो वह है Indian National Congress, जिसे हम आमतौर पर INC या कांग्रेस के नाम से जानते हैं, जिसकी जड़ें आज़ादी के आंदोलन से जुड़ी हैं और जिसने महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी जैसे नेताओं को देश को दिए हैं, लेकिन आज 2025 में सवाल यह है कि क्या कांग्रेस पार्टी फिर से राष्ट्रीय राजनीति में अपना खोया वजूद पा सकेगी या यह पार्टी सिर्फ इतिहास की किताबों में सिमट कर रह जाएगी? वर्तमान में Mallikarjun Kharge पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और राहुल गांधी अब भी कांग्रेस की सबसे प्रमुख और चर्चित राजनीतिक हस्ती बने हुए हैं, जो “Bharat Jodo Nyay Yatra” जैसे अभियानों के माध्यम से पार्टी को जमीनी स्तर पर फिर से खड़ा करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। INC ने 2024 के लोकसभा चुनावों में विपक्षी गठबंधन INDIA Bloc के तहत चुनाव लड़ा और बीजेपी के मुकाबले कुछ हद तक मजबूती दिखाई, लेकिन बहुमत से अभी भी दूर रह गई। 2025 में कांग्रेस का ध्यान अब राज्यों में होने वाले चुनावों पर केंद्रित है जैसे कि महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड, जहां पार्टी गठबंधन या अकेले चुनाव लड़ने की रणनीति बना रही है। कांग्रेस का मौजूदा एजेंडा “संविधान बचाओ, लोकतंत्र बचाओ और महंगाई-भ्रष्टाचार हटाओ” जैसे मुद्दों पर आधारित है, जिसमें बेरोजगारी, MSP कानून, महिला आरक्षण बिल की पूरी तरह से लागू करने की मांग, और चुनावी बॉन्ड पर पारदर्शिता जैसे विषय शामिल हैं। पार्टी अब सोशल मीडिया को भी एक प्रभावशाली हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है, और Rahul Gandhi, Priyanka Gandhi, Jairam Ramesh, Pawan Khera जैसे नेता लगातार डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर सरकार की नीतियों पर सवाल उठा रहे हैं। हालांकि पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती है – ग्रासरूट लेवल पर संगठन की कमजोरी, आंतरिक गुटबाजी और जनता से टूटा विश्वास, जिसे फिर से जोड़ने के लिए कांग्रेस को “पैर पर चलकर, गाँव-गाँव जाकर” कार्य करना पड़ रहा है। दक्षिण भारत में अभी भी कांग्रेस की पकड़ मजबूत है, खासकर कर्नाटक और तेलंगाना में, जबकि हिंदी बेल्ट में बीजेपी का वर्चस्व अभी भी कायम है, जिससे INC को राष्ट्रीय स्तर पर खुद को “मजबूत विकल्प” के रूप में प्रस्तुत करना मुश्किल हो रहा है। 2025 में पार्टी ने युवाओं को सक्रिय रूप से आगे लाने की नीति अपनाई है, जिसके तहत युवा कांग्रेस, NSUI और महिला कांग्रेस को संगठनात्मक स्तर पर अधिक सशक्त किया जा रहा है। इसके साथ ही INC ने डेटा एनालिटिक्स टीम, बुथ-लेवल माइक्रो प्लानिंग और ब्लॉक स्तर की कार्यशालाओं के माध्यम से एक बार फिर अपनी पकड़ मज़बूत करने की योजना बनाई है। लेकिन बड़ा सवाल यही है कि क्या यह सब 2029 के लोकसभा चुनावों से पहले कोई ठोस जमीन तैयार कर पाएगा या फिर यह सब सिर्फ दिखावे की कवायद बनकर रह जाएगा? कांग्रेस को अगर वापसी करनी है तो उसे न सिर्फ मोदी लहर का सामना करना होगा, बल्कि क्षेत्रीय दलों की चुनौती, अपने अंदर की असहमति, और तेज़ी से बदलते डिजिटल नैरेटिव को भी संभालना होगा। INC की वापसी सिर्फ एक चुनावी मुद्दा नहीं, बल्कि भारत में बहुदलीय लोकतंत्र की विविधता बनाए रखने का सवाल भी बन चुका है, क्योंकि यदि देश में सिर्फ एक पार्टी का दबदबा हो, तो लोकतंत्र की ताकत कमजोर होती है और यही बात कांग्रेस बार-बार मंचों से कहती आई है। राहुल गांधी और पार्टी की पूरी कोशिश यही है कि लोगों तक ये संदेश जाए कि कांग्रेस अब 70 साल पुरानी सत्ता की पार्टी नहीं बल्कि एक नई सोच और नई रणनीति के साथ बदल चुकी पार्टी है जो युवाओं, किसानों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही है।
तो अब सवाल ये नहीं है कि क्या कांग्रेस सत्ता में लौटेगी, बल्कि सवाल ये है कि क्या कांग्रेस खुद को नए भारत की राजनीति में प्रासंगिक बना पाएगी?
और यह जवाब 2025 के राज्यों के चुनाव और जनता की प्रतिक्रिया ही तय करेगी।
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