काशीपुर में जलभराव पर सवाल, दीपक बाली को क्यों बनाया जा रहा है निशाना?

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काशीपुर में जलभराव पर सवाल, दीपक बाली को क्यों बनाया जा रहा है निशाना?

अज़हर मलिक

उत्तराखंड में इन दिनों मूसलाधार बारिश का कहर देखने को मिल रहा है। पहाड़ी इलाकों में जहां भूस्खलन और तबाही की तस्वीरें सामने आई हैं, वहीं मैदानी क्षेत्रों में जलभराव ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। खासकर काशीपुर जैसे शहरी क्षेत्रों में जल निकासी की समस्या कोई नई बात नहीं है। लेकिन इस बार जनता का रुख कुछ बदला हुआ है — क्योंकि शहर में नेतृत्व भी बदला है।

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काशीपुर में लंबे समय तक जब मेयर की कुर्सी पर उषा चौधरी रहीं, तब जलभराव की समस्याओं पर जनता ने बार-बार आवाज़ उठाई, लेकिन समाधान कभी ज़मीनी स्तर पर नजर नहीं आया। सालों से पानी की निकासी को लेकर जो दावे हुए, वो फाइलों तक सीमित रह गए।

 

अब काशीपुर को नया मेयर मिला है — दीपक बाली। बीजेपी से जुड़े दीपक बाली ने मेयर का कार्यभार संभालते ही जलभराव और सीवरेज की समस्याओं को लेकर सक्रियता दिखानी शुरू कर दी है। शहर में लगातार नालियों की सफाई, नई पाइपलाइन की प्लानिंग और जलभराव वाले क्षेत्रों की मैपिंग की जा रही है।

 

लेकिन इसी बीच कुछ लोगों द्वारा दीपक बाली को निशाना बनाया जा रहा है। सोशल मीडिया पर उन्हें बेवजह ट्रोल किया जा रहा है और कामकाज पर सवाल उठाए जा रहे हैं। सवाल यह है कि क्या कुछ ही महीनों में कोई नया मेयर किसी वर्षों पुरानी समस्या का समाधान पूरी तरह दे सकता है?

 

जनता का भी कहना है कि दीपक बाली ने जिस गति से काम शुरू किए हैं, उससे ये भरोसा जगा है कि भविष्य में काशीपुर को जलभराव जैसी परेशानियों से राहत मिल सकती है। जनता मानती है कि दीपक बाली फिलहाल शहर की ज़रूरतों को समझ रहे हैं और पहली बार इस पद पर होने के बावजूद उन्होंने कई महत्वपूर्ण फील्ड वर्क शुरू कर दिए हैं।

 

लेकिन कुछ चुनिंदा लोग, जो शायद राजनीतिक या व्यक्तिगत स्वार्थ से प्रेरित हैं, दीपक बाली को बदनाम करने की कोशिश में जुटे हैं। योजनाबद्ध तरीकों से उनके कार्यकाल को विवादित करने की कोशिशें की जा रही हैं।

 

साफ है कि काशीपुर की जनता अभी दीपक बाली को समय देना चाहती है। समस्याएं नई नहीं हैं, लेकिन समाधान की रफ्तार जरूर नई है। ऐसे में बिना वजह मेयर को कटघरे में खड़ा करना न केवल अनुचित है, बल्कि जनभावनाओं का अपमान भी है।

 

जनता को उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों में जलभराव की समस्या पर ठोस नतीजे सामने आएंगे। लेकिन यह भी जरूरी है कि काम कर रहे प्रतिनिधियों को राजनीतिक साजिशों का नहीं, बल्कि सहयोग का माहौल मिले।

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