AI की तरक्की बनी नौकरी का संकट? Tech सेक्टर में छंटनी की नई लहर से हड़कंप

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AI की तरक्की बनी नौकरी का संकट? Tech सेक्टर में छंटनी की नई लहर से हड़कंप

 

टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री, जो कभी ग्रोथ और हाई पेइंग नौकरियों की सबसे बड़ी पहचान मानी जाती थी, अब खुद भारी दबाव में है और इसका सबसे ताजा प्रमाण है AI और Tech सेक्टर में लगातार हो रही छंटनियों (Layoffs) की बढ़ती लहर। साल 2025 के तीसरे क्वार्टर की शुरुआत से ही दुनिया की कई बड़ी टेक कंपनियां—चाहे वो Silicon Valley की दिग्गज हों या भारत के बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे जैसे टेक हब्स में मौजूद कंपनियां—अपनी वर्कफोर्स को कम कर रही हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह बताई जा रही है जनरेटिव AI का तेज़ी से बढ़ता एडॉप्शन, जिससे न केवल ऑपरेशनल कॉस्ट घटाई जा रही है, बल्कि कई मिड-लेवल और रिपिटेटिव जॉब्स अब पूरी तरह ऑटोमेट हो रही हैं। हाल ही में Microsoft, Google, Amazon, IBM, Meta और Salesforce जैसी कंपनियों ने या तो हजारों कर्मचारियों को निकाला है या Voluntary Exit प्रोग्राम के तहत अलग किया है, वहीं भारत में Infosys, Wipro, Tech Mahindra और TCS जैसे बड़े नाम भी वर्कफोर्स ऑप्टिमाइज़ेशन की प्रक्रिया में जुटे हैं।

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एक रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ 2025 के पहले 7 महीनों में ग्लोबली 1.2 लाख से ज्यादा टेक जॉब्स समाप्त हो चुके हैं, जिनमें सबसे ज्यादा प्रभाव UX/UI डिजाइन, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट, HR, कस्टमर सपोर्ट, मार्केटिंग और QA जैसे डिपार्टमेंट्स में देखा गया है। AI मॉडल्स और ऑटोमेशन टूल्स जैसे ChatGPT, Gemini, Copilot, और Jasper अब वो काम कर रहे हैं, जो पहले दर्जनों लोगों की टीम किया करती थी। इससे कंपनियों के लिए लागत घटाना आसान हुआ है, लेकिन इससे लाखों प्रोफेशनल्स के करियर पर सीधा असर पड़ा है। खासकर Gen-Z

और Y सेक

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