Kashmir में फिर चला ‘सर्जिकल एक्शन’ – सुरक्षाबलों ने आतंकियों को किया ढेर, इलाके में हाई अलर्ट
जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर सुरक्षा बलों की मुस्तैदी और खुफिया एजेंसियों की सटीक सूचना ने आतंकियों की नापाक साज़िशों को नाकाम कर दिया है। ताज़ा घटनाक्रम में शोपियां, कुपवाड़ा और पुलवामा जिलों में चलाए गए संयुक्त ऑपरेशन के दौरान सेना, CRPF और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने मिलकर कुल 6 आतंकियों को मुठभेड़ में ढेर कर दिया, जिनमें से 4 की पहचान पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन से हुई है। इन ऑपरेशनों को 48 घंटे की टाइमलाइन में अंजाम दिया गया और इनमें इस्तेमाल हुए थे हाई-टेक ड्रोन, नाइट विजन कैमरे और लोकल इंटेलिजेंस नेटवर्क, जिससे घाटी के संवेदनशील इलाकों को चारों ओर से घेरकर एक-एक कर आतंकियों को निशाना बनाया गया।
सेना की 34 राष्ट्रीय राइफल्स, CRPF की QAT यूनिट और जम्मू-कश्मीर पुलिस की स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) ने मिलकर यह कार्रवाई की, जिसमें सबसे बड़ा मुठभेड़ कुपवाड़ा के जंगलों में हुआ, जहां दो विदेशी आतंकवादी छुपे थे और बड़े आतंकी हमले की फिराक में थे। सुरक्षाबलों को इन आतंकियों के पास से भारी मात्रा में हथियार, ग्रेनेड, AK-47 राइफल्स और GPS सिस्टम मिले हैं, जिससे स्पष्ट है कि ये किसी बड़े मिशन की तैयारी में थे। पुलवामा में हुई दूसरी मुठभेड़ में लोकल आतंकी इमरान भट मारा गया, जो कई आईईडी ब्लास्ट में शामिल रहा था और सोशल मीडिया पर आतंक का प्रचार भी करता था।
इस ऑपरेशन के बाद पूरे दक्षिण कश्मीर में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है और संवेदनशील इलाकों में ड्रोन सर्विलांस और नाका चेकिंग बढ़ा दी गई है। स्थानीय नागरिकों से भी अपील की गई है कि अगर कोई संदिग्ध गतिविधि दिखाई दे तो तुरंत नजदीकी थाने को सूचना दें। यह मुठभेड़ ऐसे समय पर हुई है जब कुछ ही दिन पहले सुरक्षाबलों ने एलओसी के पास ड्रोन मूवमेंट डिटेक्ट किया था, जिससे पाकिस्तान से आतंकी घुसपैठ की आशंका बढ़ गई थी। इसीलिए, ऑपरेशन में हाई अलर्ट प्रोटोकॉल अपनाया गया और बिना किसी नुकसान के आतंकियों को खत्म किया गया।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस कार्रवाई की सराहना करते हुए कहा है कि “कश्मीर की धरती को आतंक से पूरी तरह मुक्त करना हमारा लक्ष्य है और सुरक्षाबलों की इस बहादुरी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब भारत किसी भी हालात में आतंकवाद के आगे झुकने वाला नहीं है।” इस बीच, जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजीपी आर.आर. स्वैन ने कहा कि “अब ऑपरेशन सिर्फ रिएक्टिव नहीं, बल्कि प्रीएम्प्टिव (पूर्व चेतावनी आधारित) होंगे, जिसमें खुफिया जानकारी मिलते ही तुरंत एक्शन लिया जाएगा।”
गौरतलब है कि बीते कुछ महीनों में घाटी में आतंकी मूवमेंट में इजाफा देखा गया था, खासकर अमरनाथ यात्रा और स्वतंत्रता दिवस से पहले, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों ने लगातार दबाव बनाए रखा है। इस ऑपरेशन ने यह भी साबित कर दिया कि भारत की एजेंसियां अब सिर्फ रक्षा में नहीं, बल्कि आतंक की जड़ तक पहुंचने की रणनीति पर काम कर रही हैं।
साथ ही, यह भी नोट किया गया है कि मुठभेड़ों के दौरान लोकल आबादी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा और ऑपरेशन को इस तरह प्लान किया गया था कि नागरिकों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता रही। इससे जनता का भरोसा सुरक्षा बलों में और मजबूत हुआ है।
इस ऑपरेशन के बाद सोशल मीडिया पर भी सुरक्षाबलों की तारीफ हो रही है और लोग ‘Indian Army Zindabad’ जैसे हैशटैग्स के साथ वीडियो और मैसेज शेयर कर रहे हैं।
वहीं कुछ सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अब घाटी में आतंक की कमर टूटती जा रही है, लेकिन पाकिस्तान की तरफ से ड्रोन और सोशल मीडिया के ज़रिए नए टूल्स इस्तेमाल हो रहे हैं, जिन्हें रोकने के लिए तकनीकी तौर पर भी सतर्कता बनाए रखना जरूरी होगा।
फिलहाल, मारे गए आतंकियों के शव पोस्टमार्टम के बाद स्थानीय प्रशासन के निर्देश पर सुपुर्द-ए-खाक किए गए हैं और NIA व IB की टीमें भी जांच में शामिल हो गई हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि इनका लिंक पाकिस्तान स्थित किसी बड़े नेटवर्क से था या नहीं।
कुल मिलाकर, इस सफल ऑपरेशन ने घाटी में एक बार फिर संदेश दे दिया है कि अब भारत आतंकियों को सिर्फ जवाब नहीं देता, बल्कि पहल करके जड़ से मिटाने की नीति पर चल रहा है — और इस नए एक्शन मूड में देश की सुरक्षा एजेंसियों का इरादा साफ है: आतंक का नामो-निशान मिटा देना