चुनाव 2025 में राजनीतिक दलों का विज्ञापन खर्च – किसने कितना लगाया और क्यों

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चुनाव 2025 में राजनीतिक दलों का विज्ञापन खर्च – किसने कितना लगाया और क्यों

 

भारत में 2025 का लोकसभा चुनाव न सिर्फ राजनीतिक रणनीतियों और जनसभाओं का खेल है, बल्कि यह विज्ञापन खर्च (Advertisement Spending) की दौड़ भी बन चुका है। पहले जहां चुनाव प्रचार का मुख्य आधार पोस्टर, बैनर और नुक्कड़ सभाएं हुआ करती थीं, अब सोशल मीडिया ऐड्स, टीवी कमर्शियल, डिजिटल वीडियो और इन्फ्लुएंसर कैंपेन पर अरबों रुपये खर्च हो रहे हैं। इस बार के चुनाव में विशेषज्ञ मानते हैं कि विज्ञापन पर कुल खर्च 2019 के मुकाबले लगभग 35% ज्यादा है, और इसका बड़ा हिस्सा डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर जा रहा है।

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राजनीतिक दल अब केवल पारंपरिक मीडिया जैसे अखबार और टीवी चैनल पर ही नहीं, बल्कि Facebook, Instagram, YouTube, X (Twitter), WhatsApp Broadcast और OTT प्लेटफॉर्म्स पर भी आक्रामक रूप से प्रचार कर रहे हैं। डेटा एनालिटिक्स फर्म्स के मुताबिक, 2025 में एक राष्ट्रीय स्तर की पार्टी ने अकेले डिजिटल विज्ञापनों पर ₹500 करोड़ से ज्यादा खर्च किया, जबकि दूसरी बड़ी पार्टी ने क्षेत्रीय मीडिया और ग्राउंड लेवल प्रमोशन में भारी निवेश किया। इसके अलावा, इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग का चलन भी तेजी से बढ़ा है, जहां सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएटर्स चुनावी संदेशों को क्रिएटिव तरीके से जनता तक पहुंचा रहे हैं।

 

चुनाव आयोग (Election Commission) ने विज्ञापन खर्च पर नज़र रखने के लिए Expenditure Monitoring Teams तैनात की हैं और हर उम्मीदवार व पार्टी को खर्च का विस्तृत ब्यौरा जमा करने के निर्देश दिए हैं। हालांकि, कई बार खर्च का एक बड़ा हिस्सा ‘अप्रत्यक्ष प्रचार’ (Indirect Promotion) के जरिए होता है, जिसे ट्रैक करना मुश्किल है। उदाहरण के लिए, प्रायोजित न्यूज़ शो, ब्रांडेड इवेंट्स, और सोशल मीडिया पर बूस्टेड पोस्ट ऐसे तरीके हैं, जिनका खर्च आधिकारिक रिकॉर्ड से कम दिखाया जाता है।

 

विश्लेषकों का मानना है कि विज्ञापन खर्च केवल प्रचार का साधन नहीं बल्कि नैरेटिव सेट करने का हथियार बन चुका है। अगर कोई पार्टी किसी मुद्दे पर लगातार हाई-इम्पैक्ट विज्ञापन चला रही है, तो वह जनता के एजेंडा को उसी दिशा में मोड़ सकती है। यही वजह है कि 2025 के चुनाव में बेरोजगारी, महंगाई, महिला सुरक्षा, और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर लगातार विज्ञापन अभियान चलाए जा रहे हैं।

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