Commonwealth Games और Olympics 2028 – भारत की तैयारी और बड़े बदलाव पर फोकस
भारत में खेल जगत इन दिनों Commonwealth Games और आने वाले Olympics 2028 की तैयारी को लेकर काफी चर्चा में है, जहां खेल मंत्रालय, भारतीय ओलंपिक संघ (IOA), और विभिन्न स्पोर्ट्स फेडरेशंस मिलकर खिलाड़ियों के प्रशिक्षण, इंफ्रास्ट्रक्चर और अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरने की रणनीति बना रहे हैं। हाल ही में हुए बैठकों में खिलाड़ियों के लिए हाई-टेक ट्रेनिंग फैसिलिटी, इंटरनेशनल कोचिंग, न्यूट्रिशन प्लान और साइंटिफिक फिटनेस प्रोग्राम को प्राथमिकता दी गई है, ताकि भारत की मेडल उम्मीदें मजबूत हो सकें। खास बात यह है कि इस बार लक्ष्य सिर्फ कॉमनवेल्थ में अच्छा प्रदर्शन करना ही नहीं, बल्कि ओलंपिक्स में टॉप 10 देशों की लिस्ट में जगह बनाना है, जिसके लिए एथलेटिक्स, शूटिंग, बॉक्सिंग, रेसलिंग, वेटलिफ्टिंग और हॉकी जैसे पारंपरिक खेलों के साथ-साथ स्विमिंग, जिम्नास्टिक और ट्रैक साइक्लिंग जैसे नए इवेंट्स पर भी जोर दिया जा रहा है। ओलंपिक्स 2028 की तैयारी के लिए सरकार ने “Target Olympic Podium Scheme” को और मजबूत करने का फैसला किया है, जिसके तहत चुनिंदा खिलाड़ियों को इंटरनेशनल लेवल पर ट्रेनिंग, विदेशी टूर्नामेंट्स में भागीदारी और व्यक्तिगत कोचिंग की सुविधा दी जाएगी। वहीं, कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए पहले से ही प्रैक्टिस कैंप शुरू हो चुके हैं, जहां खिलाड़ियों को रीयल-टाइम एनालिटिक्स और परफॉर्मेंस ट्रैकिंग सिस्टम के जरिए तैयार किया जा रहा है। खेल मंत्री ने हाल ही में कहा कि अब हमारा लक्ष्य “Medal Rich Sports” पर फोकस करना है और उन इवेंट्स में निवेश बढ़ाना है जहां भारत पारंपरिक रूप से मजबूत रहा है। खिलाड़ियों की फिटनेस और डाइट के लिए इंटरनेशनल न्यूट्रिशनिस्ट, फिजियोथैरेपिस्ट और साइकोलॉजिस्ट को टीम में शामिल किया जा रहा है, ताकि मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से खिलाड़ियों की तैयारी बेहतरीन हो। इसके अलावा, राज्यों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने स्पोर्ट्स हॉस्टल और ट्रेनिंग सेंटर्स को अपग्रेड करें और टैलेंट सर्च प्रोग्राम्स के जरिए ग्रामीण और छोटे कस्बों से उभरते खिलाड़ियों को पहचानें। इंटरनेशनल लेवल पर प्रतिस्पर्धा कड़ी होने के कारण भारतीय खिलाड़ियों को अब “हाई परफॉर्मेंस ट्रेनिंग” के लिए विदेश भेजा जा रहा है, जैसे ऑस्ट्रेलिया में स्विमिंग और हॉकी, जर्मनी में शूटिंग, और अमेरिका में एथलेटिक्स ट्रेनिंग प्रोग्राम्स। वहीं, फंडिंग के लिए कॉर्पोरेट सेक्टर और प्राइवेट स्पॉन्सर्स को भी जोड़ा जा रहा है, ताकि खिलाड़ियों को वित्तीय बाधाओं का सामना न करना पड़े। दूसरी ओर, कॉमनवेल्थ और ओलंपिक्स से पहले होने वाले एशियन गेम्स और वर्ल्ड चैंपियनशिप जैसे टूर्नामेंट्स को “टेस्ट इवेंट” के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा, ताकि खिलाड़ियों की कमियों को समय रहते दूर किया जा सके। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर यह तैयारी लगातार और सही दिशा में चलती रही, तो 2028 में भारत न सिर्फ अपने अब तक के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को दोहरा सकता है, बल्कि एक नया इतिहास भी रच सकता है। फैंस के बीच भी इन खेलों को लेकर उत्साह बढ़ता जा रहा है, सोशल मीडिया पर खिलाड़ियों की ट्रेनिंग के वीडियो और इंटरव्यू वायरल हो रहे हैं, जिससे न केवल स्पोर्ट्स कल्चर मजबूत हो रहा है, बल्कि युवाओं में भी खेलों के प्रति रुचि बढ़ रही है। आने वाले समय में, कॉमनवेल्थ और ओलंपिक्स की तैयारी भारत के खेल ढांचे और अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा दोनों के लिए अहम साबित होने वाली है, और पूरे देश की नजर अब इस बात पर टिकी है कि तिरंगा इन खेल मैदानों में कितनी बार लहराएगा।