Indus Water Treaty Dispute 2025: पाकिस्तान की नई मांगों पर भारत में भू-राजनीतिक बहस तेज

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Indus Water Treaty Dispute 2025: पाकिस्तान की नई मांगों पर भारत में भू-राजनीतिक बहस तेज

 

इंदस वाटर ट्रीटी 1960, जो भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई थी, एक बार फिर सुर्खियों में है क्योंकि पाकिस्तान ने हाल ही में इस संधि के प्रावधानों में बदलाव और अतिरिक्त जल-साझेदारी की मांग रखी है, जिस पर भारत ने सख्त आपत्ति जताई है और इसे “भारत के जल-संप्रभु अधिकारों” के खिलाफ बताया है। पाकिस्तान का कहना है कि जलवायु परिवर्तन, ग्लेशियर पिघलने और कृषि की बढ़ती जरूरतों के चलते उसे सिंधु, झेलम और चेनाब नदियों से अतिरिक्त जल चाहिए, जबकि भारत का तर्क है कि मौजूदा संधि में पहले से ही पाकिस्तान को कुल जल का लगभग 80% हिस्सा मिलता है और यह विश्व में किसी भी दो देशों के बीच सबसे उदार जल-बंटवारे का उदाहरण है। यह मामला न केवल दोनों देशों के बीच जल-राजनीति को गरमा रहा है, बल्कि भू-राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित कर रहा है क्योंकि इस विवाद के पीछे चीन का भी अप्रत्यक्ष प्रभाव देखा जा रहा है, जो पाकिस्तान के साथ CPEC (China-Pakistan Economic Corridor) प्रोजेक्ट के जरिए आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी बढ़ा रहा है। भारत में कई रणनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाकर भारत पर कूटनीतिक दबाव बनाना चाहता है, खासकर ऐसे समय में जब दोनों देशों के रिश्ते LOC पर तनाव और आतंकवाद के मुद्दों को लेकर पहले से ही खराब हैं। वहीं, भारत के जल संसाधन मंत्रालय और विदेश मंत्रालय ने साफ कहा है कि किसी भी प्रकार का संशोधन या रिवीजन तभी संभव है जब दोनों पक्ष आपसी सहमति से आगे बढ़ें, न कि दबाव या अंतरराष्ट्रीय दखल के जरिए। इस बीच सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा ट्रेंड कर रहा है, जहां कई लोग #IndusWaterTreaty और #WaterRights जैसे हैशटैग के जरिए अपनी राय रख रहे हैं। भू-राजनीतिक पृष्ठभूमि को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस विवाद का समाधान जल्द नहीं निकला तो यह दक्षिण एशिया में जल-सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता दोनों के लिए खतरा बन सकता है, खासकर तब जब आने वाले वर्षों में हिमालयी ग्लेशियरों के पिघलने की रफ्तार और बढ़ने की संभावना है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र इस मसले पर बैकडोर डिप्लोमैसी के जरिए मध्यस्थता की कोशिश कर सकते हैं, लेकिन भारत पहले ही कह चुका है कि वह किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता नहीं मानेगा। वहीं पाकिस्तान में भी विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे को सरकार के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही हैं और जनता के बीच “पानी के

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