Retail Inflation July 2025—गिरकर 1.55% पर, 15 सालों में सबसे कम; RBI की दरें स्थिर रहने के आसार
जुलाई 2025 में भारत की रिटेल महंगाई दर (CPI) घटकर केवल 1.55% रह गई, जो पिछले 15 वर्षों में सबसे निचला स्तर है, और यह आंकड़ा न केवल आम उपभोक्ताओं के लिए राहत की खबर है, बल्कि मौद्रिक नीति (Monetary Policy) के लिहाज़ से भी बेहद अहम है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी डेटा के अनुसार, इस गिरावट के पीछे मुख्य कारण खाद्य वस्तुओं और ईंधन की कीमतों में कमी है, जबकि कपड़े, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी कैटेगरी में कीमतें अपेक्षाकृत स्थिर रही हैं। खाद्य महंगाई (Food Inflation) जुलाई में घटकर 0.75% पर आ गई, जो जून में 2.10% थी, वहीं ईंधन एवं प्रकाश (Fuel & Light) कैटेगरी में भी -1.2% की नकारात्मक वृद्धि दर्ज हुई, जिससे कुल CPI पर दबाव कम हुआ। आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि Monsoon के अच्छे प्रदर्शन और सप्लाई चेन में सुधार ने कीमतों को काबू में रखने में बड़ी भूमिका निभाई है। इस गिरावट के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के 8 अगस्त को होने वाले मौद्रिक नीति समीक्षा (MPC) में रेपो रेट को स्थिर रखने की संभावना और बढ़ गई है, क्योंकि कम महंगाई दर का मतलब है कि केंद्रीय बैंक को ब्याज दरों में बदलाव के लिए कोई तात्कालिक दबाव नहीं है। विशेषज्ञों के मुताबिक, जब महंगाई दर 4% के RBI टॉलरेंस बैंड से काफी नीचे आ जाती है, तो बैंकिंग सिस्टम में लोन दरें लंबे समय तक स्थिर रह सकती हैं, जिससे उपभोक्ता और कॉर्पोरेट लोन सस्ते बने रहते हैं। हालांकि, यह भी ध्यान देने योग्य है कि इतनी कम महंगाई दर से डिमांड स्लोडाउन और औद्योगिक उत्पादन में सुस्ती के संकेत भी मिल सकते हैं, जो अर्थव्यवस्था के लिए चेतावनी का संकेत है। सरकार और RBI दोनों इस बात पर नज़र रख रहे हैं कि कम महंगाई दर का असर ग्रामीण और शहरी मांग पर कैसा पड़ता है। वित्त मंत्रालय ने इसे “सकारात्मक विकास” बताया है, लेकिन साथ ही कहा है कि अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों, ग्लोबल सप्लाई चेन और El Niño जैसी मौसमीय अनिश्चितताओं पर नज़र बनाए रखना जरूरी है, ताकि महंगाई दोबारा न बढ़े। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत का यह CPI आंकड़ा निवेशकों के लिए आकर्षक है, क्योंकि कम महंगाई दर का मतलब है स्थिर ब्याज दरों का माहौल, जो विदेशी निवेश (FDI और FPI) के लिए अनुकूल है। सोशल मीडिया पर भी इस खबर को लेकर बहस जारी है—कुछ लोग इसे मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की सफलता बता रहे हैं, जबकि कुछ का कहना है कि यह अस्थायी राहत है और आने वाले महीनों में महंगाई फिर बढ़ सकती है। फिलहाल, RBI के संकेत यही हैं कि Repo Rate 6.50% पर बरकरार रहेगी और Liquidity Management पर ज्यादा फोकस होगा। यदि आने वाले महीनों में महंगाई इसी स्तर पर रहती है, तो हो सकता है कि अगले वित्त वर्ष में ब्याज दरों में कटौती की चर्चा शुरू हो जाए। कुल मिलाकर, जुलाई की 1.55% CPI दर आम उपभोक्ताओं के बजट में राहत, निवेशकों के लिए स्थिरता और नीति-निर्माताओं के लिए एक breathing space लेकर आई है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को फिलहाल थोड़ी राहत की सांस मिल सकती है