चुनाव या चरित्र— नए उम्मीदवारों के बीच देशभक्ति से जुड़ी बहस तेज़
भारत का लोकतंत्र हमेशा से विश्व के सबसे बड़े और सशक्त लोकतंत्र के रूप में जाना जाता है, जहां हर चुनाव केवल सत्ता परिवर्तन का नहीं बल्कि विचारों, मूल्यों और देशभक्ति की भावना का भी प्रतीक बन जाता है, इसी कड़ी में आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों से पहले एक नई बहस ने जोर पकड़ लिया है जिसका शीर्षक है “चुनाव या चरित्र?” और यह बहस इस बार केवल राजनीतिक पार्टियों के बीच नहीं बल्कि आम जनता, सोशल मीडिया और युवा वर्ग तक पहुंच चुकी है, दरअसल हाल ही में कई राज्यों में नए उम्मीदवारों ने चुनावी मैदान में उतरते हुए देशभक्ति को अपना मुख्य मुद्दा बनाया है और सवाल उठाया है कि क्या जनता को वोट देते समय केवल विकास के वादों पर ध्यान देना चाहिए या फिर उस उम्मीदवार के चरित्र, ईमानदारी और राष्ट्रभक्ति की भावना पर भी विचार करना ज़रूरी है,
इस बहस का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि आज की पीढ़ी केवल भाषणों और वादों से प्रभावित नहीं हो रही बल्कि वे उम्मीदवारों की पर्सनल हिस्ट्री, उनकी सोच, सोशल मीडिया पर उनके विचार और यहां तक कि उनकी देशभक्ति से जुड़ी गतिविधियों का भी बारीकी से आकलन कर रही है, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर #ChunavYaCharitra और #DeshbhaktiDebate जै