बाज़पुर से उठी आवाज़” — प्रवासी युवाओं का देशप्रेम का जज़्बा दर्शाता अभियान
उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले का छोटा सा कस्बा बाज़पुर इन दिनों एक नए तरह के अभियान का गवाह बन रहा है, जहां प्रवासी युवाओं ने देशप्रेम का अनोखा संदेश देते हुए एक ऐसा मूवमेंट शुरू किया है जो पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है, इस अभियान का नाम रखा गया है “बाज़पुर से उठी आवाज़” और इसका उद्देश्य उन युवाओं को एकजुट करना है जो पढ़ाई, नौकरी या अन्य कारणों से देश और विदेश के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे हैं लेकिन जिनकी रगों में आज भी मातृभूमि के प्रति गहरा प्रेम और अपनापन बहता है,
इस आंदोलन की शुरुआत कुछ स्थानीय युवाओं ने सोशल मीडिया के जरिए की, जिनका कहना है कि अक्सर लोग सोचते हैं कि प्रवासी युवा विदेश जाकर अपनी जड़ों को भूल जाते हैं लेकिन हकीकत इसके उलट है, ये युवा वहां रहकर भी भारत की परंपराओं, संस्कृति और देशभक्ति की भावना को अपने साथ लेकर चलते हैं और जब भी मौका मिलता है तो किसी न किसी रूप में अपने देश से जुड़े रहते हैं, इसी कड़ी में बाज़पुर से जुड़े युवाओं ने एक ऐसा ऑनलाइन-ऑफलाइन प्लेटफॉर्म तैयार किया है जहां से वे देशभक्ति, सामाजिक जागरूकता और विकास कार्यों के लिए एकजुट होकर काम कर सकें,
अभियान के तहत युवाओं ने शहीदों की याद में ऑनलाइन वेबिनार, कविता पाठ और डिजिटल पोस्टर कैंपेन शुरू किया है, साथ ही विदेशों में बसे भारतीय युवाओं ने स्थानीय स्तर पर भारतीय ध्वज फहराने और स्वतंत्रता दिवस-गणतंत्र दिवस जैसे अवसरों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित कर भारतीय तिरंगे की शान बढ़ाई है, इन सभी आयोजनों की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं और हजारों लोग इस पहल से जुड़ते जा रहे हैं,
बाज़पुर से शुरू हुआ यह आंदोलन केवल देशभक्ति तक सीमित नहीं है बल्कि इसमें शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों को भी जोड़ा गया है, कई युवाओं ने अपने गांव के स्कूलों को किताबें भेजने, गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए फंड इकट्ठा करने और गांवों में पौधारोपण अभियान चलाने जैसी गतिविधियों में भी भाग लिया है, इससे यह संदेश मिल रहा है कि प्रवासी युवा केवल अपने करियर तक सीमित नहीं बल्कि अपने देश और समाज के लिए भी गहरी जिम्मेदारी महसूस करते हैं,
राजनीतिक और सामाजिक विश्लेषकों का मानना है कि यह अभियान आने वाले समय में एक बड़े सांस्कृतिक आंदोलन का रूप ले सकता है, क्योंकि प्रवासी युवा जहां-जहां भी रहते हैं वहां भारत की पहचान और छवि को मजबूत बनाते हैं और अगर वे संगठित होकर काम करें तो निश्चित ही इसका असर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिखाई देगा,
इस अभियान की खासियत यह है कि इसमें युवा केवल भाषणों तक सीमित नहीं हैं बल्कि अपने कर्मों से यह साबित कर रहे हैं कि देशप्रेम सिर्फ नारों में नहीं बल्कि ठोस कार्यों में झलकना चाहिए, यही कारण है कि “बाज़पुर से उठी आवाज़” अब केवल एक कस्बे की कहानी नहीं रह गई बल्कि यह पूरे भारत में युवाओं के लिए प्रेरणा का स्तंभ बन रही है,
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि प्रवासी युवाओं का यह जज़्बा भारत की उस अमर परंपरा का प्रतीक है जिसमें चाहे कोई कहीं भी क्यों न रहे, उसकी धड़कनें हमेशा अपनी मिट्टी और अपने तिरंगे के लिए ही धड़कती हैं, और जब बाज़पुर जैसे छोटे कस्बे से इतनी बड़ी आवाज़ उठ सकती है तो यह संकेत है कि देशभक्ति की भावना कभी कम नहीं हो सकती, बल्कि यह और अधिक मजबूत होकर आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचती रहेगी।