एक फूल, एक संदेश” — देशभक्ति के प्रतीक बने युवा कलाकार का अद्वितीय प्रदर्शन
भारत की मिट्टी से जुड़े कलाकार हमेशा से अपने हुनर के जरिए समाज में जागरूकता और देशभक्ति की भावना जगाते आए हैं और इसी कड़ी में हाल ही में एक युवा कलाकार द्वारा पेश किया गया प्रदर्शन “एक फूल, एक संदेश” चर्चा का विषय बन गया है, यह अनोखा प्रदर्शन केवल कला तक सीमित नहीं रहा बल्कि यह देशभक्ति का ऐसा प्रतीक बना जिसने हजारों युवाओं के दिलों में नया जोश और नई ऊर्जा भर दी, इस कलाकार ने अपने प्रदर्शन के जरिए यह संदेश देने की कोशिश की कि जिस तरह एक फूल अपनी खुशबू पूरे वातावरण में फैलाता है उसी तरह हर भारतीय को भी अपनी सकारात्मकता, संस्कार और देशप्रेम को अपने समाज और आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना चाहिए,
इस प्रदर्शन की सबसे खास बात यह रही कि इसमें किसी बड़े मंच या भारी सजावट का इस्तेमाल नहीं किया गया बल्कि साधारण तरीके से फूल और रंगों के जरिए यह प्रस्तुति दी गई, कलाकार ने हर फूल को शहीदों की शहादत, किसानों की मेहनत, सैनिकों की बहादुरी और नागरिकों की जिम्मेदारी से जोड़कर पेश किया, उदाहरण के तौर पर लाल गुलाब को बलिदान का प्रतीक बताया गया, सफेद लिली को शांति का संदेश, गेंदे के फूल को एकता का प्रतीक और सूरजमुखी को उम्मीद और उजाले की पहचान के रूप में प्रस्तुत किया गया, दर्शकों ने इस अद्वितीय प्रयोग को न केवल सराहा बल्कि इसे सोशल मीडिया पर शेयर कर देशभर में ट्रेंड बना दिया,
यह कार्यक्रम एक स्थानीय कॉलेज के सांस्कृतिक समारोह में हुआ था लेकिन इसकी गूंज दूर-दराज तक सुनाई दी क्योंकि इसमें युवाओं की भागीदारी बहुत ज़्यादा रही, छात्र-छात्राओं ने “एक फूल, एक संदेश” थीम को अपने-अपने अंदाज़ में व्यक्त किया, किसी ने कविता लिखी तो किसी ने पेंटिंग बनाई, किसी ने डांस के जरिए देशभक्ति का प्रदर्शन किया तो किसी ने गीत गाकर माहौल को भावनाओं से भर दिया, यह अपने आप में ऐसा संगम था जिसने कला और देशप्रेम को एक ही धागे में पिरो दिया,
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे Instagram, Twitter और Facebook पर इस कार्यक्रम की तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रही हैं, हैशटैग #EkPhoolEkSandesh हजारों बार इस्तेमाल किया गया और कमेंट्स में लोगों ने लिखा कि यह पहल सच में दिल को छू लेने वाली है, खासकर युवा पीढ़ी में इस तरह की क्रिएटिविटी को देखकर यह उम्मीद जागी है कि देशभक्ति का रंग केवल राजनीतिक नारों तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि कला और संस्कृति के माध्यम से भी नई सोच को जन्म देगा,
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की गतिविधियां समाज में पॉज़िटिविटी फैलाने के साथ-साथ युवाओं को सही दिशा भी देती हैं, आज के समय में जब नकारात्मक खबरें और सोशल मीडिया पर बहसें ज़्यादा देखने को मिलती हैं तो ऐसे क्रिएटिव अभियानों से संतुलन बनता है और लोगों को यह अहसास होता है कि देशप्रेम का मतलब केवल युद्ध या राजनीति नहीं बल्कि छोटी-छोटी कोशिशों और प्रतीकों से भी बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं,
इस कार्यक्रम से प्रभावित होकर कई अन्य शहरों और कॉलेजों में भी “एक फूल, एक संदेश” थीम को अपनाने की योजना बनाई जा रही है, कुछ NGOs ने तो यह तक ऐलान कर दिया है कि वे इसे राष्ट्रीय स्तर पर ले जाएंगे और स्कूल-कॉलेजों में ऐसे अभियान चलाएंगे जहां बच्चे और युवा फूलों और कलात्मक तरीकों से देशभक्ति का संदेश फैलाएं,
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि “एक फूल, एक संदेश” केवल एक सांस्कृतिक प्रस्तुति नहीं बल्कि एक विचार है जो यह साबित करता है कि देशभक्ति केवल बड़े आयोजनों की मोहताज नहीं, बल्कि यह हमारी सोच, हमारी संवेदनाओं और हमारी रोज़मर्रा की छोटी-छोटी कोशिशों में भी दिख सकती है, और जब एक युवा कलाकार इस विचार को अपने हुनर से लाखों दिलों तक पहुंचा सकता है तो यह अपने आप में इस बात का सबूत है कि भारत की नई पीढ़ी कला और संस्कृति के जरिए देशप्रेम को एक नई ऊंचाई देने के लिए पूरी तरह तैयार है।