GST काउंसिल की अगली बैठक 3 सितम्बर से — कराधान नीति में बदलाव की उम्मीद
भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) व्यवस्था को लेकर एक बार फिर बड़े फैसलों की तैयारी है क्योंकि GST काउंसिल की अगली बैठक 3 सितम्बर से होने जा रही है और इसमें कई अहम कराधान नीतिगत बदलावों पर चर्चा की जाएगी। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में राज्यों और केंद्र सरकार के बीच revenue sharing formula, नए सेक्टरों पर GST लागू करने, compliance process को आसान बनाने और छोटे कारोबारियों को राहत देने जैसे मुद्दे एजेंडे में रहेंगे। Experts का कहना है कि इस बार focus taxation structure को simplify करने और करदाताओं पर बोझ कम करने पर होगा ताकि economy को तेज़ी मिल सके। खासतौर पर manufacturing और services sector दोनों में uniformity लाने की कोशिश होगी।
काउंसिल की पिछली बैठकों में inverted duty structure और online gaming, casinos तथा e-commerce जैसी नई categories पर tax लगाने को लेकर लंबी चर्चा हुई थी, लेकिन consensus नहीं बन पाया था। अब उम्मीद जताई जा रही है कि 3 सितम्बर से शुरू हो रही बैठक में इन विषयों पर ठोस निर्णय लिया जा सकता है। साथ ही, luxury items और sin goods (जैसे कि शराब और तंबाकू उत्पाद) पर cess बढ़ाने का प्रस्ताव भी आ सकता है ताकि राज्यों की वित्तीय स्थिति मजबूत हो। Small businesses और startups के लिए simplified return filing और digital compliance tools लाने पर भी विचार किया जाएगा।
Economists का कहना है कि इस बैठक से सबसे ज्यादा फायदा MSME सेक्टर को हो सकता है क्योंकि वे अभी multiple compliance और higher tax burden की वजह से परेशान हैं। यदि input tax credit के नियम आसान होते हैं तो working capital की दिक्कत काफी हद तक दूर हो सकती है। वहीं states यह मांग कर रहे हैं कि उनके लिए compensation cess को कुछ और वर्षों तक बढ़ाया जाए क्योंकि pandemic के बाद revenue loss अभी पूरी तरह से recover नहीं हो पाया है।
इस बैठक पर industry और बाजार की निगाहें टिकी हुई हैं क्योंकि किसी भी तरह का tax cut या rationalisation सीधे-सीधे consumer demand को बढ़ा सकता है। Analysts का मानना है कि अगर काउंसिल fuel को GST के दायरे में लाने पर विचार करती है तो यह एक historic step होगा, हालांकि इस पर political consensus बनना मुश्किल दिख रहा है।
कुल मिलाकर 3 सितम्बर से शुरू होने वाली GST काउंसिल की बैठक से व्यापारियों, उद्योग जगत और आम उपभोक्ताओं को बड़ी उम्मीदें हैं। अब देखना यह होगा कि क्या इस बार सरकार taxation reforms के जरिए ease of doing business और consumer welfare दोनों को संतुलित कर पाती है या फिर बैठक केवल चर्चा तक ही सीमित रह जाती है।