भोपाल में GK के तहत उर्वर संरक्षण नवाचार: कृषि में नई तकनीक से उपज और मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने की पहल

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भोपाल में GK के तहत उर्वर संरक्षण नवाचार: कृषि में नई तकनीक से उपज और मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने की पहल

 

भोपाल से एक बड़ी और उत्साहजनक खबर सामने आई है जहां GK (Green Krishi) पहल के तहत किसानों के लिए उर्वर संरक्षण नवाचार (Fertilizer Conservation Innovation) शुरू किया गया है। यह पहल कृषि अनुसंधान संस्थानों, राज्य सरकार और स्थानीय किसानों की भागीदारी से चल रही है, जिसका मुख्य उद्देश्य मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बनाए रखना और लंबे समय तक फसल उत्पादन को स्थिर एवं टिकाऊ बनाना है। विशेषज्ञों के अनुसार, मध्य प्रदेश विशेषकर भोपाल क्षेत्र की मिट्टी पर अत्यधिक रासायनिक खाद के उपयोग से लगातार दबाव बढ़ रहा है, जिससे मिट्टी की उर्वरक शक्ति कमजोर हो रही है और फसल उत्पादन की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। इसी चुनौती को देखते हुए GK कार्यक्रम के अंतर्गत नई तकनीक और जैविक तरीकों को अपनाने का निर्णय लिया गया है।

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इस नवाचार के अंतर्गत किसानों को स्मार्ट फर्टिलाइज़र मैनेजमेंट सिस्टम से जोड़ा जाएगा, जिसमें सेंसर और AI-आधारित मोबाइल एप्लिकेशन का इस्तेमाल होगा। ये तकनीक मिट्टी की नमी, पोषण स्तर और फसल की वास्तविक ज़रूरत को मापकर किसानों को बताएगी कि कब, कितना और किस प्रकार का उर्वरक उपयोग करना है। इससे न केवल खाद की बर्बादी रुकेगी बल्कि लागत भी कम होगी और पर्यावरण प्रदूषण पर भी रोक लगेगी। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस मॉडल से किसानों को 20–25% तक लागत बचत हो सकती है और फसल की पैदावार में भी 15–20% की बढ़ोतरी दर्ज की जा सकती है।

 

भोपाल में चल रहे इस प्रोजेक्ट के दौरान जैविक खाद और वर्मी कम्पोस्ट के उपयोग को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। किसानों को प्रशिक्षण देकर उन्हें chemical fertilizers पर निर्भरता कम करने और जैविक विकल्प अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। खास बात यह है कि इस प्रोजेक्ट में ग्रामीण युवाओं को भी शामिल किया गया है जो किसानों के खेतों में soil testing और digital advisory services देंगे। इससे रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

 

राज्य सरकार का कहना है कि यह पहल न केवल भोपाल बल्कि आने वाले समय में पूरे मध्य प्रदेश और फिर देश के अन्य हिस्सों में भी लागू की जाएगी। GK के तहत लाए जा रहे इस नवाचार को संयुक्त राष्ट्र के “Sustainable Agriculture Goals” से भी जोड़ा गया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि एक climate-friendly agriculture nation के रूप में और मजबूत होगी।

 

इस पहल के सामाजिक पहलू भी अहम हैं। लगातार कम होती मिट्टी की गुणवत्ता के कारण छोटे किसान सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे थे। नए मॉडल से उन्हें उम्मीद है कि अब उनकी लागत कम होगी, उत्पादन बढ़ेगा और मिट्टी की ताकत लंबे समय तक बनी रहेगी। साथ ही, जल संरक्षण तकनीकों को भी इसमें जोड़ा जा रहा है ताकि खेतों में सूखा या अधिक वर्षा की स्थिति में भी मिट्टी की productivity सुरक्षित रह सके।

 

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