शिकारियों का हुआ शिकार: अमानगढ़ से 5 शिकारी गिरफ्तार, सवालों के घेरे में चौकसी और सिस्टम

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शिकारियों का हुआ शिकार: अमानगढ़ से 5 शिकारी गिरफ्तार, सवालों के घेरे में चौकसी और सिस्टम

अज़हर मलिक

बिजनौर/धामपुर। अमानगढ़ टाइगर रिजर्व से शुक्रवार रात वन विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पांच शिकारियों को गिरफ्तार किया है। उनके पास से बरामद कंकाल को देखकर अंदेशा जताया जा रहा है कि यह बाघ का है। फिलहाल इसकी वैज्ञानिक पुष्टि के लिए हड्डियों को डब्ल्यूआईआई (वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया) भेजा गया है। गिरफ्तार आरोपी मो. असलम, शमशेर, शराफत, रुस्तम और अशरफ अली सभी वन गुर्जर बताए जा रहे हैं, जो रिजर्व फॉरेस्ट के भीतर डेरा बनाकर रह रहे थे।

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शनिवार को धामपुर रेंज में मुख्य वन संरक्षक पीपी सिंह ने बताया कि आरोपियों की निशानदेही पर जबड़ा, दांत, हड्डियां और नाखून सहित पूरा कंकाल बरामद हुआ है। पांचों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। खाल कहां गई और कंकाल बाघ का है या गुलदार का, इसकी पुष्टि वैज्ञानिक जांच से होगी।

 

 

 

लेकिन इस पूरी कार्रवाई ने कई गंभीर सवाल भी खड़े कर दिए हैं। आखिर 24 घंटे चौकसी का दावा करने वाले वन विभाग की निगरानी में इतनी बड़ी घटना कैसे हो गई? क्या रिजर्व में निगरानी सिर्फ कागज़ों तक सीमित है? अमानगढ़ में बीते 15 साल में बाघों की संख्या 12 से बढ़कर 32 तक पहुंची है, लेकिन शिकारियों की घुसपैठ भी उसी अनुपात में बढ़ती जा रही है। सवाल यह भी है कि जब जंगल के अंदर गुर्जरों के डेरों की जानकारी विभाग को रहती है, तो उनके रहन-सहन, उनके लग्जरी जीवन और संदिग्ध गतिविधियों पर नज़र क्यों नहीं रखी जाती?

 

 

 

गुर्जर समाज लंबे समय से जंगलों में रहकर अपना जीवन यापन करता आ रहा है, लेकिन जब उसी समाज के कुछ लोग शिकारी बन जाते हैं, तो पूरे समाज की छवि खराब होती है। क्या प्रशासन इन पर सख्त निगरानी रखने में नाकाम रहा है? क्या इन्हें जंगलों में अंदर तक डेरा जमाने की अनुमति देना ही खतरे को न्योता देना नहीं है?

 

 

 

मुख्य वन संरक्षक ने दावा किया है कि जहां-जहां बाघ हैं, वहां रेड अलर्ट घोषित किया गया है और शिकारी नेटवर्क को जल्द ही पूरी तरह तोड़ दिया जाएगा। लेकिन असल सवाल यही है कि क्या सिर्फ कार्रवाई के बाद ही प्रशासन जागेगा या फिर पहले से सख्त चौकसी करके बाघों की असल सुरक्षा की जाएगी?

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