काशीपुर बवाल पर मुस्लिम नेताओं का बड़ा बयान नफरत के परफ्यूम पर पुलिस एक्शन, निर्दोषों को बचाने की अपील
अज़हर मलिक
काशीपुर में हाल ही में हुए बवाल ने पूरे उत्तराखंड को हिला कर रख दिया था। 21 सितंबर की रात अचानक अलीखां चौक पर करीब 400 से 500 लोग “I LOVE MOHAMMAD” लिखे बैनर और पोस्टर के साथ जमा हुए और बिना अनुमति जुलूस निकालने लगे। जैसे ही भीड़ वाल्मीकि बस्ती से आगे बढ़ी, पुलिस ने रोकने की कोशिश की तो उस पर पथराव और लाठी-डंडों से हमला कर दिया गया।
सरकारी गाड़ियाँ तोड़ी गईं, पुलिस कर्मियों से मारपीट हुई और पूरे शहर का माहौल तनावपूर्ण हो गया। इस बवाल का मास्टरमाइंड समाजवादी पार्टी का नेता नदीम अख़्तर बताया जा रहा है, जिसे पुलिस ने हिरासत में लिया है। उसकी एक वीडियो भी सामने आई है जिसमें वह पुलिस के साथ लड़खड़ाते हुए चलता दिख रहा है। इस पूरे मामले के बाद अब मुस्लिम नेताओं का भी बड़ा बयान सामने आया है, जिसने पूरे घटनाक्रम में नया मोड़ ला दिया है।
मुस्लिम समाज के वरिष्ठ नेता हसीन खान और मुशर्रफ हुसैन ने साफ कहा कि काशीपुर की फिजाओं में पिछले दो सालों से बाहर से आए लोग जहरीला परफ्यूम घोलने की कोशिश कर रहे थे। उनका सीधा इशारा नदीम अख़्तर जैसे चेहरों की तरफ था। उन्होंने आरोप लगाया कि युवाओं को भड़काने और शहर को जलाने की साज़िश रची गई, लेकिन पुलिस की सूझबूझ और तत्परता ने शहर को हिंसा की आग में झोंकने से बचा लिया। उन्होंने पुलिस की कार्रवाई की तारीफ करते हुए कहा कि अगर वक़्त रहते सख्ती न दिखाई जाती तो काशीपुर की तस्वीर और भी भयावह हो सकती थी।
नेताओं ने आगे कहा कि उन्होंने जिले के पुलिस मुखिया से मुलाकात की और उनसे दोहरी अपील की। पहली, कि दोषियों को किसी कीमत पर छोड़ा न जाए और उन पर कठोरतम कार्रवाई हो। दूसरी, कि कार्रवाई के दौरान किसी निर्दोष को बेवजह परेशान न किया जाए। नेताओं ने कहा कि अक्सर दंगे और बवाल के बाद पुलिसिया कार्रवाई में बेगुनाह लोग भी चपेट में आ जाते हैं, जिससे समाज में और असंतोष फैलता है। इस बार ऐसा न हो और कानून का शिकंजा सिर्फ उन्हीं पर कसे जिन्होंने सच में शहर को जलाने की कोशिश की।
पुलिस की ओर से भी नेताओं को भरोसा दिलाया गया है कि किसी निर्दोष के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी और सिर्फ वही लोग जेल जाएंगे जिन्होंने कानून को हाथ में लिया। SSP मणिकांत मिश्रा पहले ही साफ कर चुके हैं कि काशीपुर में गुंडाराज नहीं चलेगा, सिर्फ कानून का राज चलेगा। यही बात मुस्लिम नेताओं के बयानों से भी मेल खाती है।
इस घटनाक्रम ने साफ कर दिया है कि काशीपुर की गंगा-जमुनी तहज़ीब को तोड़ने की कोशिश करने वालों के खिलाफ समाज भी अब खुलकर सामने आ रहा है। मुस्लिम नेताओं ने एकजुट होकर संदेश दिया है कि हिंसा किसी समस्या का हल नहीं है, बल्कि इससे शहर और समाज दोनों का ही नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि प्रशासन को सख्त कार्रवाई करनी होगी, ताकि आने वाले वक्त में कोई भी इस तरह की हरकत करने की जुर्रत न कर सके।
काशीपुर बवाल के बाद सरकार भी एक्टिव हो गई है। अलीखान इलाके में बुलडोज़र चल चुका है और अवैध अतिक्रमण पर कार्रवाई की जा रही है। धामी सरकार ने साफ संदेश दे दिया है कि दंगा भड़काने वालों को जेल और बुलडोज़र दोनों झेलने पड़ेंगे। वहीं अब मुस्लिम नेताओं के समर्थन के बाद पुलिस और प्रशासन को और ताक़त मिल गई है।
तो साफ है कि काशीपुर की फिजाओं में नफरत का जो परफ्यूम फैलाने की कोशिश की गई थी, उसका सफाई अभियान अब पुलिस और समाज मिलकर चला रहे हैं। पुलिस की कार्रवाई और मुस्लिम नेताओं का बयान इस बात का सबूत है कि काशीपुर में कानून का राज कायम रहेगा और किसी भी निर्दोष को अन्याय नहीं सहना पड़ेगा।