सर्विस ट्रिब्यूनल ने रद्द किए SSP और IG के आदेश, महिला दरोगा को मिली बड़ी राहत
काशीपुर : उत्तराखंड लोक सेवा अधिकरण की नैनीताल पीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसले में पुलिस सब इंस्पेक्टर तरन्नुम सईद के खिलाफ की गई विभागीय कार्रवाई को अवैध करार देते हुए निरस्त कर दिया है। अधिकरण के सदस्य (प्रशासनिक) कैप्टन आलोक शेखर तिवारी की पीठ ने माना कि महिला दरोगा को दी गई निंदा प्रविष्टि मात्र संदेह और परिकल्पना पर आधारित थी, जिसे विधिक दृष्टि से स्थिर नहीं रखा जा सकता। इस आदेश के साथ ही अधिकरण ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अल्मोड़ा और आई.जी. कुमाऊं नैनीताल के आदेशों को निरस्त करते हुए एसएसपी को निर्देश दिया कि वे 30 दिनों के भीतर उपनिरीक्षक की चरित्र पंजिका से निंदा प्रविष्टि हटाएं और सभी रोके गए सेवा लाभ जारी करें।
यह मामला वर्ष 2021 का है जब तरन्नुम सईद थाना सल्ट, जनपद अल्मोड़ा में तैनात थीं। उन्हें वाहन दुर्घटना से संबंधित एक मुकदमे की विवेचना सौंपी गई थी, जिसमें उन्होंने वाहन मालिकों और गवाहों के बयान दर्ज करते हुए साक्ष्य जुटाने का कार्य किया था। इसी दौरान विवेचना उनके पास से हटाकर अन्य अधिकारियों को सौंप दी गई। बाद में एक जांच अधिकारी ने बिना पर्याप्त साक्ष्य और बिना याची के पक्ष को सुने अपनी रिपोर्ट में यह निष्कर्ष दे दिया कि दरोगा ने जांच को भटकाने और वाहन स्वामी को बीमा लाभ पहुंचाने का प्रयास किया। इस रिपोर्ट के आधार पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अल्मोड़ा ने वर्ष 2023 में निंदा प्रविष्टि दर्ज करने का आदेश जारी कर दिया, जिसे बाद में आई.जी. कुमाऊं ने भी अपील में बरकरार रखा।
याची की ओर से अधिवक्ता नदीम उद्दीन ने ट्रिब्यूनल में दलील दी कि विभागीय कार्रवाई निष्पक्ष जांच के सिद्धांतों के विपरीत और प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन करते हुए की गई है। ट्रिब्यूनल ने इन तर्कों से सहमति जताते हुए कहा कि निंदा प्रविष्टि अतिशीघ्रता और मिलीभगत के संदेह के आधार पर दी गई प्रतीत होती है, इसलिए इसे विधि विरुद्ध माना गया। इस आदेश से महिला दरोगा तरन्नुम सईद को बड़ी राहत मिली है और यह फैसला सरकारी विभागों के लिए निष्पक्ष जांच के महत्व को रेखांकित करता है।