रामनगर मे सरकारी विभागों की खींचतान में लुट रही सरकारी सम्पत्ति। लकड़ी तस्करो को सरकारी विभाग का दीपावली गिफ्ट

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रामनगर मे सरकारी विभागों की खींचतान में लुट रही सरकारी सम्पत्ति। लकड़ी तस्करो को सरकारी विभागो का दीपावली गिफ्ट 

              सलीम अहमद साहिल 

 

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रामनगर, 19 अक्टूबर 2025।

रामनगर क्षेत्र के मालधनचौड़ के मोहननगर गांव में इन दिनों लकड़ी तस्करों का आतंक चरम पर है। सिंचाई विभाग की सरकारी भूमि पर खड़े हरे-भरे पेड़ों को लकड़ी तस्कर दिनदहाड़े काटकर बेच रहे हैं, मानो उन्हें कानून का कोई भय ही न हो। और शायद डर हो भी कैसे—जब जिम्मेदार विभाग मौके पर पहुंचने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं।

 

सूत्रों के अनुसार, शिकायत मिलने पर जब सिंचाई विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे, तो उन्होंने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि भूमि राजस्व विभाग की है। वहीं, राजस्व विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह भूमि वन विभाग की है। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, यह भूमि वर्ष 1957 में तुमड़िया डैम निर्माण के लिए सिंचाई विभाग को हस्तांतरित की गई थी। तीनों विभागों के बीच जिम्मेदारी की इस टालमटोल ने लकड़ी माफियाओं के हौसले और बुलंद कर दिए हैं।

 

स्थानीय लोगों का आरोप है कि विभागों की मिलीभगत से सरकारी संपत्ति की बंदरबांट हो रही है। लाखों रुपये की लकड़ी हर रोज सरकारी भूमि से तस्करी कर बेची जा रही है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई से बचते नजर आ रहे हैं।

 

बताया जा रहा है कि सीएम हेल्पलाइन में भी इस संबंध में शिकायत दर्ज है, जो फिलहाल सिंचाई विभाग के पास विचाराधीन है। बावजूद इसके, तस्करों पर किसी प्रकार की कार्रवाई होती दिखाई नहीं दे रही है।

 

जानकारी के अनुसार, गुरनाम सिंह पुत्र जगतार सिंह, अमर सिंह, और सावन सिंह पुत्र गुरनाम सिंह, निवासी मोहननगर मालधनचौड़, के खिलाफ रामनगर कोतवाली में एक दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। इसके बावजूद ये लोग खुलेआम लकड़ी तस्करी में सक्रिय हैं। बताया गया कि आज भी इन लोगों ने हरे पेड़ों को काटकर लाखों रुपये की लकड़ी अपनी ट्रैक्टर-ट्रॉली में भरकर ले गए, लेकिन सूचना मिलने के बाद भी किसी अधिकारी ने कार्रवाई करने की जहमत नहीं उठाई। ऐसा लग रहा है जैसे सरकारी विभागों ने लकड़ी तस्करो को दीपावली गिफ्ट दिया हो

 

यहां बड़ा सवाल यह है कि — जांच के बाद जिस विभाग की यह भूमि साबित होती है, वह विभाग अब उस सरकारी सम्पत्ति की रिकवरी कैसे करेगा, जिसकी लाखों की लकड़ी पहले ही तस्करी कर बेची जा चुकी है?

 

साथ ही, पर्यावरण को हो रहे नुकसान और सरकारी सम्पत्ति की खुलेआम लूट पर भी प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जहां एक ओर सरकारी सम्पत्तियों की सुरक्षा और संरक्षण को प्राथमिकता दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ विभागीय अधिकारी सरकार की नीतियों को ठेंगा दिखाते हुए मुख्यमंत्री की छवि को धूमिल करने का काम कर रहे हैं।

 

अब देखना यह होगा कि सरकार इस मामले में कब सख्त एक्शन लेती है और लकड़ी माफियाओं के साथ-साथ लापरवाह अधिकारियों पर भी कार्रवाई होती है या नहीं।

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