उत्तराखंड के गतका खिलाड़ी पहुंचे बेंगलुरु, राष्ट्रीय पायथियन खेलों में दिखाएंगे दम – राज्य का बढ़ा मान
अज़हर मलिक
उत्तराखंड ने एक बार फिर अपने मार्शल आर्ट कौशल का दम दिखाते हुए इतिहास रच दिया है। प्रदेश के सात गतका खिलाड़ियों का चयन द्वितीय राष्ट्रीय सांस्कृतिक पायथियन खेलों के लिए हुआ है, जो 7 से 9 नवंबर तक बेंगलुरु के जीकेवीके, यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज़ में आयोजित किए जा रहे हैं। खिलाड़ियों का यह प्रतिनिधित्व न सिर्फ राज्य के लिए सम्मान है, बल्कि पारंपरिक सिख मार्शल आर्ट गतका को राष्ट्रीय मंच पर और मजबूती से स्थापित करने का बड़ा अवसर भी है।
उत्तराखंड गतका एसोसिएशन के महासचिव हरप्रीत सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि इस प्रतिष्ठित आयोजन में शामिल होने वाले सभी खिलाड़ी बेहतरीन तैयारी और जोश के साथ बेंगलुरु पहुंचे हैं। इस दौरान नेशनल गतका एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनजीएआई), जो विश्व और एशियाई गतका फेडरेशन से संबद्ध सबसे प्राचीन राष्ट्रीय संस्था है, द्वितीय फेडरेशन कप का आयोजन भी करेगी। यह पूरा आयोजन पायथियन काउंसिल ऑफ इंडिया के सहयोग से पारंपरिक मार्शल आर्ट एवं सांस्कृतिक विरासत को प्रोत्साहित करने की दिशा में आयोजित किया जा रहा है।
बताया जा रहा है कि जिन खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक जीता है, उन्हें मास्को में होने वाले अंतरराष्ट्रीय पायथियन खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने का भी मौका मिलेगा। ऐसे में यह प्रतियोगिता उन युवा प्रतिभाओं के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचने का महत्वपूर्ण मार्ग साबित होने जा रही है।
खिलाड़ियों के चयन पर उत्तराखंड गतका एसोसिएशन के अध्यक्ष हरवीर सिंह गिल, अकाल अकादमी तेलीपुरा की प्रिंसिपल डॉ. सुखजीत कौर, दसमेश स्कूल के प्रिंसिपल संदीप सलारिया, मिरी पिरी अफगालगढ़ के प्रिंसिपल मनप्रीत सिंह, गुरुद्वारा कमेटी के प्रधान कुलविंदर सिंह किन्दा और ओलंपिक एसोसिएशन के डॉ. डी.के. सिंह सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने खिलाड़ियों और उनके माता-पिता को शुभकामनाएँ दीं। सभी ने इसे उत्तराखंड के लिए गौरवशाली पल बताते हुए उम्मीद जताई कि युवा खिलाड़ी अपने अद्भुत प्रदर्शन से राज्य का नाम रोशन करेंगे।
उत्तराखंड की युवा खेल प्रतिभाओं को इस मंच पर मौका मिलना यह साबित करता है कि पर्वतीय प्रदेश केवल नैसर्गिक सौंदर्य और आध्यात्मिकता का ही घर नहीं, बल्कि साहस, अनुशासन और वीरता की परंपरा का भी धनी है। अब पूरे राज्य की निगाहें इन योद्धा खिलाड़ियों पर टिकी हैं, जो देशभर की प्राचीन मार्शल आर्ट परंपराओं के बीच अपनी छाप छोड़ने के लिए तैयार हैं।