Haldwani Banbhoolpura Railway Encroachment Case: Supreme Court Hearing Postponed, New Date 10 December
हल्द्वानी के बनभूलपुरा रेलवे भूमि अतिक्रमण केस में आज 2 दिसंबर को होने वाली अहम सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने स्थगित कर दी है। अब मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी। इस केस को Uttarakhand का हाई-प्रोफ़ाइल लैंड डिस्प्यूट माना जा रहा है, इसलिए आज की तारीख को महत्वपूर्ण मोड़ की तरह देखा जा रहा था।
District और Police Administration ने सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले ही सुरक्षा व्यवस्था को पूरी तरह अलर्ट मोड पर रखा था। संवेदनशील क्षेत्र Banbhoolpura में भारी पुलिस फोर्स तैनात की गई है, जबकि ITBP और SSB को रिज़र्व पर रखा गया है। शहर के चप्पे-चप्पे पर बाहरी लोगों और वाहनों की कड़ी चेकिंग जारी है, और पूरे जिले में सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
पिछली सुनवाई (14 नवंबर) में क्या हुआ था?
14 नवंबर की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे, राज्य सरकार और प्रभावित परिवारों की दलीलें सुनी थीं। रेलवे की दलील थी कि परियोजना के लिए 30 हेक्टेयर भूमि आवश्यक है, और अतिक्रमण हटाना बेहद ज़रूरी है।
वहीं प्रभावित परिवारों की ओर से वरिष्ठ वकीलों ने कोर्ट में कहा था:
– Railway की ओर से पहले इतनी भूमि की मांग नहीं की गई थी।
– Railway line के पास retaining wall पहले ही बन चुकी है, इसलिए इन्फ्रास्ट्रक्चर को immediate खतरा नहीं है।
– पुरानी बस्ती को PM Awas Yojana के तहत स्थानांतरित करने का प्रस्ताव व्यावहारिक नहीं है।
रेलवे की ओर से पेश हुई Additional Solicitor General Aishwarya Bhati ने इन तर्कों का विरोध करते हुए कहा था कि पूरा क्षेत्र रेलवे की जमीन पर अवैध अतिक्रमण है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 2 दिसंबर तय की थी, जो अब आगे बढ़ाकर 10 दिसंबर कर दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट का अब तक का रुख
सुप्रीम कोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि Railway Line के पास रह रहे 4365 परिवारों का पुनर्वास (rehabilitation) सुनिश्चित किया जाए। Court ने Uttarakhand Government को निर्देश दिया था कि प्रभावित लोगों के लिए alternative land की पहचान कर रेलवे और केंद्र सरकार के साथ संयुक्त बैठक में समाधान निकाला जाए।
पूरा मामला क्या है?
2004 में गौला नदी पर बना रेलवे पुल गिरने के बाद 2013 में Uttarakhand High Court में एक PIL दायर की गई थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि Railway Station के पास गौला नदी में अवैध खनन (illegal mining) चल रहा है, वहीं आसपास की जमीन पर अतिक्रमण भी बढ़ गया है।
Railway ने अपनी दलील में 1959 का नोटिफिकेशन, 1971 का Revenue Record और 2017 का Land Survey पेश कर कोर्ट को बताया कि यह पूरी भूमि रेलवे के नाम दर्ज है और इस पर वर्षों से Encroachment होता आ रहा है।
High Court ने भी इस भूमि को Railway के नाम सही मानते हुए अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे। इसके बाद प्रभावित लोगों ने Supreme Court का रुख किया। जनवरी 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने High Court के आदेश पर स्टे लगाया, और तब से मामले की सुनवाई लगातार जारी है।
वर्तमान स्थिति
Today’s hearing के टलने के बाद अब सभी की निगाहें 10 दिसंबर की सुनवाई पर टिकी रहेंगी, जिसमें यह तय हो सकता है कि आगे रेलवे भूमि अतिक्रमण मामले में सरकार और प्रभावित परिवारों के लिए आगे का रास्ता क्या होगा। प्रशासन अभी भी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सतर्क है और शहर मेंलगातार निगरानी बढ़ाई जा रही है।