सुप्रीम कोर्ट ने UMEED पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों की अपलोडिंग अवधि बढ़ाने से किया इंकार, अधिवक्ताओं ने डीएम देहरादून को सौंपा ज्ञापन

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सुप्रीम कोर्ट ने UMEED पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों की अपलोडिंग अवधि बढ़ाने से किया इंकार, अधिवक्ताओं ने डीएम देहरादून को सौंपा ज्ञापन

 

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को स्पष्ट आदेश दिया कि UMEED पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों की जानकारी अपलोड करने की समय सीमा बढ़ाने का निर्देश वह नहीं देगा। अदालत ने कहा कि वक्फ एक्ट की धारा 3B के तहत समय सीमा बढ़ाने की शक्ति वक्फ ट्रिब्यूनल के पास है, इसलिए आगे की सभी कार्यवाहियां ट्रिब्यूनल स्तर पर ही होंगी। कोर्ट के इस रुख के बाद अब देशभर में वक्फ बोर्डों के सामने अपूर्ण संपत्तियों को पोर्टल पर दर्ज करने की चुनौती और अधिक गंभीर हो गई है।

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इस मुद्दे पर आज नेशनल मुस्लिम एडवोकेट्स हेल्प फाउंडेशन के प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी देहरादून को एक ज्ञापन सौंपा। अधिवक्ताओं का कहना है कि UMEED पोर्टल लगातार तकनीकी गड़बड़ियों से जूझता रहा, जिसके कारण छह महीने में भी कुल वक्फ संपत्तियों में से 20 फीसदी से अधिक डेटा अपलोड नहीं हो सका। फाउंडेशन ने यह भी कहा कि पोर्टल की तकनीकी समस्याओं को देखते हुए सरकार को समय सीमा बढ़ानी ही चाहिए, ताकि सभी संपत्तियों का पंजीकरण सही तरीके से पूरा हो सके।

 

अधिवक्ता हसन मंसूर और रऊफ अहमद ने बताया कि जब पोर्टल चालू ही नहीं रहता या बार-बार एरर देता है, तो निर्धारित समय सीमा में हजारों संपत्तियों का अपलोड करना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा पूरे समुदाय से संबंधित है, इसलिए सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।

 

उधर, उत्तराखंड वक्फ बोर्ड भी इस फैसले के बाद दबाव में है, क्योंकि प्रदेश में अब तक केवल 20 फीसदी वक्फ संपत्तियां ही पोर्टल पर दर्ज हो पाई हैं। उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि जल्द से जल्द वक्फ ट्रिब्यूनल का गठन किया जाए, ताकि इस समस्या का समाधान निकल सके और लंबित संपत्तियों का अपलोड कार्य सुचारू रूप से पूरा हो सके।

 

गौरतलब है कि UMEED पोर्टल 6 जून को लॉन्च किया गया था और इसके नियम 3 जुलाई को अधिसूचित हुए थे। वक्फ संशोधन अधिनियम को लागू करने पर रोक लगाने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने 15 सितंबर को फैसला दिया था, जिसके बाद अधिनियम लागू किया गया और संपत्तियों को पोर्टल पर दर्ज करने के लिए छह महीने की अवधि तय की गई। अंतिम तारीख 5 दिसंबर थी, लेकिन इतने समय के बावजूद भी बड़ी संख्या में संपत्तियां अपलोड नहीं हो पाईं।

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